मृत्युंजय दीक्षित

हर चुनावों की तरह इस बार के लोकसभा चुनावों में भी राजनैतिक दलों ने वादों की षुरूआत कर दी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने चुनाव प्रचार की शुरूआत राफेल से लेकर नोटबंदी और फिर उसके बाद पांच प्रांतों के विधानसभा चुनावों में किसानांेे की कर्जमाफी और युवाओं की बेरोजगारी के सहारे विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी के विजय रथ को कुछ हद बढ़ाया और मोदी लहर को रोकने में कामयाबी हासिल करने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी की टीम व भारतीय जनता पार्टी पर विभिन्न नकारात्मक मुददों के सहारे अपनी बढ़त को बरकरार रखना चाह रहे थे। लेकिन 14 फरवरी को पुलवामा की घटना ओैर वायुसेना के पराक्रम के बाद देष में बह रही राष्ट्रवाद की अभूतपूर्व बयार के बाद राहुल के गुरूदेव सैम पित्रोदा और दिग्विजय सिंह के बयानों से कांग्रेस पर राजनैतिक दबाव व संकट लगातार गहराता जा रहा था। सेना के पराक्रम पर सबूत मांगने के कारण कांग्रेस व सहयोगियों की काफी छीछालेदर हो रही थी तथा वह अभी भी जारी है। कांग्रेस को समझ में नहीं आ रहा हेै जनमानस में उसकी जो देश विरोधी छवि लगातार बनती जा रही है वह कैसे कम की जा सके।
अपने ऊपर से दबाव को कम करने के लिये कांग्रेस ने देश के जनमानस को गहरा धोखा देने के लिये गरीबों की न्यूनतम आय 12 हजार करने का नया वादा किया है और इस वादे के माध्यम से देश में राष्ट्रवाद की जो लहर चल रही थी उसको कम करने के लिये यह एक नया प्रयोग कर दिया हेै। एक प्रकार से श्रीमती इदिरा गांधी के पोते और पोती भी अब गरीबी हटाओ का नारा एक बार फिर बुलंद करने जा रहे हैं और इस वादे के साथ ही पीएम बनने का सपना पूरा करना चाह रहे है। लेकिन अब देश की जनता काफी जागरूक और समझदार हो चुकी है। यह कहना कि जनता पुराना भूल जाती है और नयी चीजों व झूठे वादों के आधार पर अपना मत देती है कांग्रेस की अब बड़ी भूल होने जा रही है। पिछली कांग्रेस की सरकारों में जितने भी लोग आतंकी हमलों में मारे गये व शहीद हुये हैं तथा देश की सेना व जवानों केे परिवार इस बार किसी भी सूरत में अब कांग्रेस व महाविलावटी दलों को सत्ता में नहीं आने देंगे।

राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार में निकलने से पहले बड़ा एलान करते हुए कहा कि अगर केंद्र में उनकी सरकार बनती है तो न्यूनतम आय योजना यानी न्याय लागू करेंगे। देश के 20 फीसदी सबसे गरीब परिवारों की आय 12 हजार रूपये प्रतिमाह तय की जायेगी। आय इससे कम हुई तो हर साल अधिकतम 72 हजार रूपये तक सरकार देगी। उन्होंने कहा कि विगत पांच साल में कई मुष्किलें उठाने वाले गरीबों को हम न्याय देने जा रहे हैं। शहरी , ग्रामीण सभी धर्म और जाति के 5 करोड़ सबसे गरीब परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। राहुल गांधी ने इसे गरीबी के खिलाफ अंतिम हमला बताया है। अब वह इसी घोषणा के बल पर चुनाव लडने जा रहे हैं। लेकिन राहुल गांधी की यह न्याय योजना चर्चा का विषय बन गयी है और कई सारे सवाल भी खड़े कर रही है।

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने 1971 के आम चुनाव में गरीबी हटाओ का नारा दिया था और यदि देश की सबसे पुरानी पार्टी को एक बार फिर उसी नारे पर वापस लौटना पड़ रहा है तो यह कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों के लिये बेहद तकलीफदेह औेर शोचनीय स्थिति है कि आखिर 55 साल तक सत्ता मेें रहने के बाद भी भारत में गरीबी क्यों है ओैर युवा बेरोजगार क्यों है? अभी तक देश में सर्वाधिक काल तक कांग्रेस व उसके महाविलावटियों की ही सरकारें रही हैं। जिनकी न तो कोइ्र्र नीति थी और नही नियत। अगर इन दलांेे को कोई भी शर्म हो तो इन्हें यह सहर्ष स्वीकार करना होगा कि आज देश के हालातों के लिये वास्तव में इन्ही दलों की पूर्ववर्ती सरकारेें ही जिम्मेदार हैं। यह सभी लोकलुभावन नारे जनता को मुददोें से भटकाने वाले तथा गुमराह करने वाले होते हैं। आज पूरा गांधी परिवार बहुरूपिये का रूप धारण कर तथा जनता को धन का लालच देकर मत लूटने का प्रयास करने के लिये मैदान पर पड़ा है। गांधी परिवार का यह कहना तो सही माना जा सकता है कि गरीबों के घरों में चैकीदार नहीं होते लेकिन क्या गांधी परिवार ने अपने घर में लूट का माल छिपाने के लिये चौकीदार नहीं रखा है। अब कांग्रेस पार्टी देश के गरीबों व चैकीदारों का अपमान करे में उतर आयी है। गरीबी शब्द का उपयोग कांग्रेस पार्टी महज राजनैतिक स्टंट के लिये प्रयोग कर रही हेै।

स्वर्गीय इंदिरा जी के गरीबी हटाओ नारे के कारण ही देश भर के गांवों में बिजली, पानी, शिक्षा और चिकित्सा सेवायें गरीबों को नहीं मिल पा रही थीं । गरीबी हटाओ नारे के कारण ही बैंकों में किसी गरीब का जीरो बैंलेंस पर खाता नहीं खुल पा रहा था। गरीबी हटाओ नारे के कारण ही गरीब को निःशुल्क बिजली कनेक्शन और गैस कनेक्शन नहीं मिल पा रहा था जो कि अब मोदी सरकार में ही संभव हो सका है। मोदी सरकार में गरीबों को हर मूलभूत सुविधा उपलब्ध हो रही है वह भी भ्रष्टाचारमुक्त और पारदर्शी तरीके से क्योंकि मोदी जी है तो सब कुछ मुमकिन है। देश के गरीबों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिये ही सबका साथ सबका विकास का नारा दिया गया है।

अभी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के किसानों के लिये नयूनतम आय योजना 6000 रूपये लागू करी थी तब इसी कांग्र्रेस पार्टी ने कहा था कि पीएम मोदी की सरकार ने देश के किसानों का अपमान किया है और उनका मजाक बनाया है। अब यही राहुूल गांधी एक बार फिर देश की जनता को गरीब बताकर उनका अपमान करने के लिये निकल पड़े है । देश के आर्थिक सलाहकार परिषद और नीति आयाग ने भी चुनाव पूर्व इस प्रकार की घोषणा की आलोचना की है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने राहुल गांधी के वादे को चांद जमीन पर लाने जैसा बताते हुए कहा है कि अगर ऐसा हुआ तो राजकोषीय अनुशासन धराशायी हो जायेगा। इस योजना से काम नहीं करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा। इस प्रकार की योजनाओं से कोई भला नौकरी की मांग ही नहीं करेगा ,वह तो यह कहने लग जायेगा कि जब सरकार पैसा दे रही है तो हम नौकरी ही कयों करें ?

अर्थशास्त्रियों का मत हेै कि फिलहाल राजकोषीय घाटा 7.03लाख करोड़ रूपये है। अगर हम इसमें 3.6 लाख करेाड़ रूपये और जोड़ ले तो यह बढ़कर 10.63 लाख करोड़ रूपये हो जायेगा। राजकोषीय घाटा बढ़कर 5.6 फीसदी हो जायेगा। राजकोषीय संतुलन बिगड़ने पर महंगाई बेकाबू हो सकती है। राहुल गांधी की नीतियों से विकास दर पर भी सीधा असर पड़ेगा। जब महान अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे तब भी इस योजना को लागू किया जा सकता था लेकिन तब उन्होंने एक बयान दिया था जिसमें कहा था कि क्या पैसे पेड़ पर उगते हैं ? क्या अब राहुल और प्रियंका मिलकर मनमोहन सिंह की थ्योरी को बदलने का नया सपना देखने जा रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि राहुल गांधी जब देश के प्रधानमंत्री बनेंगे तब पेड़ों से धन बरसने लग जायेगा। कांग्रेस का इतिहास रहा है कि चुनाव जीतने के लिये वह गरीबों के साथ खूब वादे करती है और फिर उसका उपयोग अपनी तिजोरी भरने के लिये करती है। आज इंदिरा गांधी के गरीबी हटाओ नारे की वजह से ही देश का कर्मचारी व अधिकारी कामचोर व घोटालेबाज हो गया है। भ्रष्टाचार की देन यही नारा है। राहुल गांधी व न्याय योजना के रणनीतिकारों को यह बताना होगा कि इस योजना को वह किस प्रकार से भ्रष्टाचारमुक्त करेंगे और गरीबों को वास्तव में लाभ पहुचायेंगे।

अभी तक कांग्रेस ने राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ की जनता से तथा कर्नाटक के किसानों से जो वादे किये थे उसमें वहां की सरकारें लगभग नाकाम सी रही है। इन राज्यों का किसान अभी भी कर्जमाफी की राह देख रहा है काग्रेंस के नेतागण मोदी सरकार व भाजपा के हर नारे को जुमला- जुमला कहकर अपमानित करते रहते हैं कहीं कांग्रेस व राहुल गांधी का नया नारा भी जुमला तो नहीं रह जायेगा।

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