लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ।लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव में पहले चरण के मतदान की तारीख़ जैसे-जैसे नज़दीक आती जा रही है वैसे-वैसे ही मोदी की भाजपा लोकसभा चुनाव को ध्रुवीकरण की ओर ले जा रही है इसकी वजह ये मानी जा रही है कि नरेन्द्र मोदी की मेरठ में हुई रैली फेल हुई उसमें तीन लाख से ज़्यादा लोगों के शामिल होने का लक्ष्य रखा गया था रैली का टाइम 11 बजे रखा गया था यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ठीक 11 बजे मंच पर पहुँच गए थे लेकिन तब तक रैली स्थल पर मुश्किल से पाँच हज़ार लोग ही पहुँच पाए थे जिसे देख योगी की त्योरी चढ़ गई थी और वो मंच के पीछे बने आराम रूम में जाकर बैठ गए थे उनका चेहरा देखने लायक था जब तक नरेन्द्र मोदी सभा स्थल पर पहुँचे तब तक बाँ मुश्किल तमाम तीस हज़ार लोग ही पहुँच पाए थे कहाँ तीन लाख और आए मात्र तीस हज़ार इस लिए यूपी में नरेन्द्र मोदी की पहली रैली फेल हो गई यही हाल यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहली रैली सहारनपुर की बेहट विधानसभा में हुई जिसमें भीड़ नही जुट पायी यहाँ भी एक हज़ार कुर्सियाँ भरना मुश्किल हो गया हालाँकि यहाँ इन्होंने ध्रुवीकरण करने के लिए मोदी की बोटी-बोटी के बयान से सुर्ख़ियो में आए इमरान को बिना नाम लिए आतंकी मसूद अज़हर का दामाद बताया था ताकि मुसलमान विचलित होकर कांग्रेस पर चला जाए लेकिन सहारनपुर का मुसलमान गठबंधन से हिलने को तैयार नही हो रहा वैसे बोटी-बोटी वाले ने इसको उठाने की भरपूर कोशिश की लेकिन मुसलमान बड़ी समझदारी से ख़ामोशी अख़्तियार किए हुए है और वह गठबंधन की बात कर रहा है जो मोदी की भाजपा के लिए यूपी में अच्छा संकेत नही है अगर ये दलित-मुस्लिम की जुगलबंदी फ़िट हो गई तो यूपी की सियासत का रंग ही बदल जाएगा इसके बाद ड्रीम गर्ल हेमा मालनी के चुनावी क्षेत्र मथुरा में नामांकन के बाद की हुई सभा में भी भीड़ नही जुट पायी जिसमें योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए थे साथ ही ड्रीम गर्ल हेमा मालनी भी थी इसके बावजूद मथुरा में योगी की सभा फेल रही।2014 के आम चुनाव में सबसे ज़्यादा वोटो से जीतने वाले ठाकुर वी के सिंह के चुनावी क्षेत्र ग़ाज़ियाबाद में भी योगी आदित्यनाथ की सभा करने के लिए सबसे छोटे स्थल का चयन किया गया था जिसकी संख्या एक हज़ार लोगों की थी वहाँ भी सभा के लिए एक हज़ार कुर्सियाँ लगाई गई थी छह सौ के क़रीब कुर्सियाँ ख़ाली रही इससे यही अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि मोदी की भाजपा सबका साथ,सबका विकास के नारे पर चुनाव नही जीत सकती क्योंकि उसके पास विकास का कोई मॉडल नही है नरेन्द्र मोदी सरकार के सबसे बड़े फ़ैसलों में नोटबंदी जीएसटी राफ़ेल शामिल है लेकिन नरेन्द्र मोदी सहित उसके नेता इन विषयों पर कोई चर्चा नही कर रहे है इसका मतलब हुआ नरेन्द्र मोदी सरकार अपने इन फ़ैसलों को सही नही मान रही तभी तो वो इन गंभीर विषयों पर बात करने को तैयार नही है इसी लिए अब उसने ध्रुवीकरण की राजनीति पर बोलना शुरू कर दिया है नरेन्द्र मोदी और मोदी की भाजपा के स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने प्रचार को बहुसंख्यक और मुसलमान यानी हिन्दू-मुस्लिम की बातों पर उतर आए है सियासी पंडित मोदी और योगी के इस रूख को ध्रुवीकरण करने की बात कह रहे है और साथ ही वह यह भी कह रहे है कि ये ध्रुवीकरण की सियासत लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक संकेत है। महात्मा गांधी की कर्मस्थली वर्धा में नरेन्द्र मोदी ने अपने मूल डीएनए का सबूत देते हुए कहा कि कांग्रेस ने हिन्दू आतंकवाद शब्द का प्रयोग किया था जिससे करोड़ों हिन्दुओं के दावन पर दाग लगाने की कोशिश की थी मोदी जनता से सवाल करते है कि बताइए हिन्दू को आतंकवाद शब्द सुनकर गहरी पीड़ा होती है या नही होती ? खुद ही सवाल का जवाब भी देते है कहते है कि हज़ारों साल के इतिहास में क्या ऐसी कोई घटना है जिसमें हिन्दू आतंकवाद में शामिल रहा हो जबकि महात्मा गांधी को मारने वाला आतंकी नाथूराम गोड़से इनके लिए पूजनीय है ये है न कमाल और एक बात जिस अफसर ने हिन्दू आतंकवाद शब्द का प्रयोग किया था वो आज मोदी की भाजपा में है आर के सिंह जब यूपीए 2 की सरकार में वो केन्द्रीय गृह सचिव हुआ करते थे लेकिन आज मोदी सरकार में मंत्री है।घर में घुसकर या फिर राह चलते लोगों को मार दिया जाए गोहत्या का फ़र्ज़ी बवंडर मचाकर देश का माहौल ख़राब करना और अगर पुलिस अपना काम करे तो उसे या उसके अफसर को जान से मार दो उन्हें क्या नाम दिया जाए क्या ये आतंकवाद नही है और अगर नही है तो इसे क्या कहा जाए।भारत के निर्माणकर्ताओं ने इस बात का पहले ही ख़्याल रखा था कि देश को चलाने में सभी का सहयोग रहे जिसके चलते उन्होने ऐसा संविधान बनाया ताकि कोई उँगली न रख सके उन्होने देश में संसदीय लोकतंत्र की स्थापना की ताकि किसी एक धर्म का वर्चस्व न रहे लेकिन आजादी के बाद से ही एक सोच हिन्दुस्तान की तरक़्क़ी में हमेशा रोड़े डालती आ रही है उसका यह प्रयास रहा कि हिन्दुस्तान हिन्दु राष्ट्र बने जिसे तबसे ही एक बहुत बड़ा बहुसंख्यक तबक़ा ख़ारिज करता चला आ रहा है लेकिन उस सोच ने हार नही मानी वो भी प्रयास करती चली आ रही है गुजरात को बहुसंख्यक राजनीति की प्रयोगशाला बनाया गया जहाँ वो गोधरा करने में कामयाब रहे उसके बाद इसी सोच ने 2014 के आमचुनाव में इसका विस्तार पूरे देश में किया लगता है इस चुनाव में भी मोदी की भाजपा धार्मिक ध्रुवीकरण के सहारे ही दोबारा सत्ता की दहलीज़ को पाना चाहती है ध्रुवीकरण की सियासत के लिए घृणा का प्रतीक की ज़रूरत होती है पहले बाबरी मस्जिद थी जिसे शहीद कर दी गई थी उसी सोच की साम्प्रदायिक सरकार होने के बाद भी राममंदिर बनाने के अपने वायदे को पूरा नही कर पायी विकास, रोज़गार की बात इस सोच से करना बेमानी होगी क्योंकि इनको तोड़ने के अलावा कुछ नही आता और इन्होंने किया भी नही इस लिए इनके पास ज़्यादा कुछ बताने को है ही नही इस लिए अनाप सनाप भाषणों पर उतर आए है अब इनका कोई कुछ नही कर सकता है अख़लाक़ का क़ातिल योगी की सभा में अगली पंक्ति में बैठता है लेकिन वो इनके लिए गलत नही है नाथूराम गोड़से के मानने वाले दोमुँहे साँप की तरह है।