वाशिंगटन : पुलवामा हमले के मास्‍टरमाइंड मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के मुद्दे पर भारत को जहां बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है, वहीं इसमें अंतरराष्‍ट्रीय बिरादरी की अहम भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता, जो लगातार इस दुर्दांत आतंकी को संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंधित सूची में शामिल करवाने के लिए प्रयासरत रहा। इसमें अमेरिका की भी महत्‍वपूर्ण भूमिका रही, जो लगातार पाकिस्‍तान में मौजूद आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर इस्‍लामाबाद पर दबाव बनाता रहा।

मसूद को संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के बाद अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने इस पर प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हुए इसे अमेरिकी कूटनीति और आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्‍ट्रीय मुहिम की जीत बताया है। उन्‍होंने इसे दक्षिण एशिया में शांति की दिशा में महत्‍वपूर्ण कदम करार दिया। उन्‍होंने इस मुद्दे पर संयुक्‍त राष्‍ट्र में अमेरिकी मिशन को भी इसके लिए बधाई दी और कहा, 'यह अमेरिकी कूटनीति व आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय की जीत है, जिसकी लंबे समय से प्रतीक्षा थी। यह दक्षिण एशिया में शांति की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम है।'

पाकिस्‍तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद पर भारत में कई हमलों का आरोप है। पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले के बाद उसे वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के समक्ष प्रस्‍ताव लाया गया था, लेकिन चीन ने इसके विभिन्‍न पहलुओं पर अध्‍ययन के लिए अत‍िरिक्‍त समय की आवश्‍यकता का हवाला देते हुए इस पर 'तकनीकी रोक' लगा दी थी, जिसके बाद एक बार फिर यह मामला लंबित हो गया था। लेकिन बुधवार (1 मई, 2019) को चीन ने यह रोक हटा ली, जिसके बाद मसूद वैश्विक आतंकी घोषित हो गया।