कोलकाता: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की अप्रत्याशित सफलता के बाद, तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी में कई तरह के फेरबदल करने की शुरूआत करते हुए संगठन स्तर पर पैदा हुई खामियों को दूर करने की कवायद शुरू कर दी है. इस कवायद में ममता ने कुछ नेताओं के पर कतरे हैं, तो कुछ नेताओं को अहम ज़िम्मेदारियां दी हैं.

टीएमसी में इस फेरबदल के बाद ममता बनर्जी के बाद नंबर दो समझे जाने वाले ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी के पर कतरे गए हैं. अभिषेक की ज़िम्मेदारी वाले जिन ज़िलों में भाजपा ने अच्छी पकड़ बनाई, उनसे उन ज़िलों का प्रभार वापस लेकर दूसरे नेताओं को दिया गया है.

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विजेता लोकसभा प्रत्या​शियों के साथ लंबी मीटिंग के बाद ममता ने कहा कि 'हमने संगठन में कई तरह के बदलाव किए हैं. जिन प्रत्याशियों ने कड़ा मुकाबला किया लेकिन हार गए, उन्हें भी अतिरिक्त ज़िम्मेदारियां दी गई हैं'. टीएमसी के एक धड़े के कुछ नेताओं पर रकम के बहलावे में आने का आरोप लगा था, इस बारे में ममता ने कहा कि ऐसे नेताओं के खिलाफ कदम उठाए जा रहे हैं.

टीएमसी छोड़कर या पार्टी से निकाले जाने के बाद भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं पर नाराज़गी जताते हुए ममता ने कहा 'जब मैं किसी भ्रष्ट नेता या कार्यकर्ता के खिलाफ कदम उठाती हूं और उसे पार्टी से बाहर कर देती हूं, तो वह दूसरी पार्टी में जाकर चुनाव जीतता है'.

झारग्राम, पश्चिम बर्दवान, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, पुरुलिया, बांकुरा, पश्चिम मिदनापुर और नादिया जैसे ज़िलों में ममता ने संगठन स्तर पर कई बदलाव किए हैं. अभिषेक बनर्जी को पुरुलिया और बांकुरा ज़िलों के लिए पार्टी पर्यवेक्षक बनाया गया था, लेकिन अब उनसे ये ज़िम्मेदारी वापस लेते हुए वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी इन दो ज़िलों की कमान दी गई है.

इन दो ज़िलों में भाजपा ने टीएमसी के वोटों में अच्छी खासी सेंध लगाई. संगठन सुधार के अलावा, ममता ने ये संकेत भी दिए कि वह उन सरकारी अफसरों को भी बख्शने के मूड में नहीं हैं, जिन्होंने लोगों के हित में शुरू की गई योजनाओं को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई.