हिंदी पत्रकारिता दिवस पर यूपी प्रेस क्लब में गोष्ठी का आयोजन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त सुभाष सिंह ने हिंदी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित गोष्ठी में कहा कि राजनीति में सेक्युलरिज्म और मीडिया में निष्पक्षता नियाहत ढोंग है। यह हक़ीक़त को हम जितनी जल्दी समझ लें उतना अच्छा रहेगा। रेंगने की प्रवृत्ति ही हमारी सबसे बड़ी आत्म प्रवंचना है। हमें ख़ुद तय करना होगा कि हम सत्तापक्ष के हिसाब से कितना झुकने को तैयार हो जाते हैं। हमारी अतिवादिता किसी मायने में ठीक नहीं है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आई०एफ०डब्लू०जे० के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा० के०विक्रम राव ने कहा कि हिंदी वाले क्यों पिछड़े है? आज कितने हिंदी अखबारों के पत्रकार हैं जो अपने आत्मसम्मान को जिंदा रखते हुए निष्पक्ष पत्रकारिता को जिंदा रक्खे हुए हैं ? पत्रकारिता में घुस आए क्षद्मवेषी पत्रकारों की जांच होनी चाहिए। हिंदी वर्तनी जिसे नही आती वो कैसे हिंदी पत्रकारिता कर रहे है ? जिन्हें पत्रिकारिता के मापदंडों का ज्ञान नही वो कैसे मान्यता प्राप्त किये हुए है ? इसकी जांच होनी चाहिए, पत्रकारों की ट्रेनिग होनी चाहिए । मुफ्त प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए नए पत्रकारों को। थ्योरी और प्रैक्टिकल का समन्यवय होना चाहिए। यह बात डा० के० विक्रम राव ने हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर गुरुवार को लखनऊ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के तत्वधान मे यूपी प्रेस क्लब में आयोजित संगोष्ठी में कही। वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह ने बताया कि लखनऊ के पत्रकारों को जो आवासीय सुविधा मिली है उसकी शुरुआत हसीब सिद्दीक (अध्यक्ष यू०पी०डब्लू०जे०यू०) जी के समय शुरू हुई। कल्याण सिंह के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में जे पी शुक्ल जी और मुख्यमंत्री मायावती द्वारा पत्रकार दयाशंकर शुक्ल सागर के साथ हुए अभद्र व्यवहार का उल्लेख किया। उस समय पत्रकारों ने एकजुटता दिखाई थी, जो आज नहीं दिखती। कल्याण सिंह ने सुरक्षाकर्मी के अभद्र व्यवहार के लिए जे पी शुक्ल से खेद व्यक्त किया था । उन्होंने कहा कि पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए नैतिक साहस रखना चाहिए। विचारधारा और पत्रकारीय गुण में अंतर बनाए रखना पड़ेगा। श्री सिंह ने कहा कि दूसरों को ठीक करने से बेहतर है अपने आप को खुद ठीक रखना। अतीत के बुनियाद पर हमें भविष्य को बेहतर करना चाहिये।

जनसंदेश टाइम्स के संपादक श्री सुभाष राय ने कहा कि संकट यह है कि कुछ भी लिख दो फर्क नहीं पड़ता। विचार और विचारधारा में फर्क है। यदि विचारधारा से जुड़े हैं तो सही आंकलन में दिक्कत होगी। झूठ को कैसे पकड़ा जाए? नेता कहते हैं कि कार्य हो गया और कार्य नहीं होते। ऐसी स्थिति में जरूरी है कि पत्रकार भौतिक सत्यापन कर सच्चाई सामने लाएं।

कार्यक्रम में नवभारत टाइम्स के समाचार संपादक श्री राजकुमार सिंह ने कहा विश्वसनीयता का संकट तो है और इससे कोई भी निरपेक्ष नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि इस लोकसभा चुनाव में भी मीडिया पूरी तरह से चुनाव में जनता के मूड को भांपने में सफल नहीं रही। चुनाव परिणामों का आंकलन भी कहीं न कहीं इसी कारण सही नहीं हो पाया। पत्रकारिता में विश्वसनीयता का संकट हिन्दी भाषी पत्रकारों में ज्यादा है क्योंकि लोग ठीक से हिन्दी भाषा की जानकारी या उतना ज्ञान नहीं होता। इसलिए जरूरी है कि हम भाषा में मजबूत पकड़ रखें। उन्होंने पत्रकारों में आपसी एकजुटता को मजबूत करने की जरूरत बताई।

वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेन्द्र शुक्ल ने कहा कि सोशल मीडिया का प्रभाव समाज में पड़ रहा है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के इस दौर में चुनौतियों के साथ- साथ विश्वसनीयता को बनाए रखना गंभीर विषय है। टी०वी० मीडिया के साथ अब ठप्पा लगना गंभीर संकट का विषय है। नेताओं द्वारा मीडिया पर अंगुलियां उठाना और मीडिया का चुप रहना दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। मीडिया के सामने संकट यह है कि हम वस्तुस्थिति का ब्यौरा रखते हैं और राजनीतिक दल हमे विचारधारा के आधार पर अलग-अलग दलों से जोड़कर देखने लगते हैं। मीडिया में संकट अब सोशल मीडिया से खड़ा हो गया है। 2014 के बाद जो राजनीतिक परिस्थितियां खडी हो गयी है वह चुनौतीपूर्ण है। पत्रकार ही नहीं जनता भी विचारधाराओं में बंट गयी है। हमें जनता के हितों के लिए संघर्ष करना होगा । पत्रकार का कार्य सिर्फ़ देखना-दिखाना नहीं है। यूपी प्रेस क्लब के अध्यक्ष रविन्द्र सिंह ने कहा कि किस तरह आज पत्रिकारिता का क्षरण हुआ है। उन्होंने कहाँ कि आज से 40 साल पहले जब हम पत्रिकारिता में आये तो संस्थान में यह कहा जाता था की आप जब संस्थान में आए और रिपोर्टिंग करने के लिए जाए तो आप किसी भी विचारधारा के है अपनी विचार धारा घर पर रख कर आए। तभी निष्पक्ष और विश्वसनीय पत्रिकारिता कर सकते हैं। आज खोजी पत्रिकारिता का ह्रास हुआ है। आज संस्थान के हितों के चलते हमारी खबरों पर अंकुश लगा दिया जाता है।

यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के अध्यक्ष हसीब सिद्दकी ने कहा कि हम पत्रकारों के हित के लिए हमेशा लड़ते रहे है और हमेशा लड़ते रहेंगे। बाबू विष्णुराव प्राणकर जी ने कहा था, आने वाले समय मे अखबार रंगीन होंगे और ज्यादा पेज के होंगे, लेकिन अखबारों में आत्मा नही होंगी।

इस अवसर पर शिव शरण सिंह अध्यक्ष लखनऊ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन/लखनऊ मंडल ने प्रदेश सरकार द्वारा पत्रकारों के पेंशन दिए जाने की चल रही प्रक्रिया के विषय की भी जानकारी दी। गोष्ठी में "सवाल मीडिया की विश्वसनीयता' विषय पर बोलते हुए शिवशरण सिंह ने कहा कि मीडिया के लिए यह चुनौती पूर्ण समय है। मीडिया को आपस में सौहार्द का भाव रखना चाहिए। एक -दूसरे के प्रति विश्वास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को तमाम संकटों का सामना करना पड़ता है। उसे अपने परिवार, व्यवसाय के साथ -साथ अन्य जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करना पड़ता है। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार मुकुल मिश्रा ने कहा कि विश्वसनीयता का संकट मीडिया के लिए गंभीर संकट का विषय है। पत्रकार राघवेन्द्र सिंह ने कहा कि मीडिया को तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने अखिलेश यादव द्वारा प्रेस कान्फ्रेंस में उनके साथ किए गए दुर्व्यवहार का उल्लेख करते हुए कहा कि, उस समय वहां यदि एकजुटता होती तो शायद यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति नहीं आती। राघवेन्द्र सिंह ने कहा कि युवा पत्रकारों को आगे आने का अवसर मिलना चाहिये।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए के. विश्वदेव राव ने कहा कि प्रेस क्लब की स्थापना पत्रकारों की एकजुटता को मजबूत करने के लिए ही की गयी है। पत्रकारों के हित के लिए लखनऊ इकाई लामबंद है । उन्होंने बताया की यूनियन द्वारा पत्रकारों और उनके परिवारीजनों को पीजीआई, केजीएमयू और लोहिया संस्थान में भी इलाज की सुविधा मुहैया कराने की प्रक्रिया प्रदेश सरकार के समक्ष विचाराधीन है । उन्होंने बताया की हाल ही में कई पत्रकारों के साथ रेलवे स्टेशन पर अभद्रता हुई थी| जिसका यूनियन के कार्यकारिणी सदस्य श्री सुजीत दिवेदी ने संज्ञान लेते हुए रेल के अला अधिकारीयों से वार्ता कर इसका हल निकलवाया है |