पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का दावा

नई दिल्ली: देश में जीडीपी (GDP) के आकड़ों पर विवाद के बीच पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने दावा किया कि 2011-12 और 2016-17 के बीच देश की आर्थिक विकास दर को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है. सुब्रमण्यन के मुताबिक, इस दौरान विकास दर 2.5 फीसदी बढ़ाकर पेश किया गया है. उन्होंने कहा कि 2011 और 2016 के दौरान जीडीपी में 6.9 फीसदी नहीं, बल्कि 3.5 फीसदी और 5.5 फीसदी वास्तविक ग्रोथ रही.

उनका कहना है कि देश के अंदर तरह-तरह के सबूत हैं जिससे पता चलता है कि भारत की विकास दर 2011 के बाद प्रत्येक साल 2.5 फीसदी प्वाइंट्स बढ़ाकर पेश की गई है. इस दौरान जीडीपी में 7 फीसदी नहीं, बल्कि सिर्फ 4.5 फीसदी की बढ़त हुई है.

CSO के आंकड़ों से पता चला है कि 2018-19 की चौथी तिमाही में आर्थिक विकास गर पांच साल के निचले स्तर 5.8 फीसदी पर आ गई, जो कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के कारण भारत को चीन से पीछे धकेल रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सुब्रमण्यन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च पेपर में यह दावा किया है. उन्होंने कहा कि जीडीपी के लेखा-जोखा में काफी फर्क है. इसमें सबसे ज्यादा गड़बड़ी अंतर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ के आंकड़ों को लेकर हुई है. 2011 के पहले राष्ट्रीय खाते में जिस मैन्युफैक्चरिंग वैल्यू को जोड़ा जाता था, उसे औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP), मैन्युफैक्चरिंग निर्यात जैसे विनिर्माण घटकों से सख्ती से जोड़कर देखा जाता था. लेकिन इसके बाद ऐसा नहीं हो रहा है.

अरविंद सुब्रमण्यम ने देश के आर्थिक विकास के लिए बनाई जाने वाली नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं. सुब्रमण्यम के अनुसार, भारतीय पॉलिसी ऑटोमोबाइल एक गलत, संभवत टूटे हुए स्पीडोमीटर से आगे बढ़ रहा है.

उन्होंने सुझाव दिया है कि जीडीपी के आकलन को एक स्वतंत्र कार्यबल द्वारा संशोधित किया जाए जिसमें नेशनल और इंटरनेशनल एक्सपर्ट, सांख्यिकीविद (statisticians), माइक्रो आर्थशास्त्री और नीति उपयोगकर्ता शामिल हों.

सुब्रमण्यन का विश्लेषण 17 प्रमुख आर्थ‍िक संकेत के आधार पर है, जिनका जीडीपी ग्रोथ से सीधा संबंध होता है. हालांकि, इसमें विवादित एमसीए-21 डेटा बेस को नहीं शामिल किया गया है, जो सीएसओ के अनुमान का अभिन्न हिस्सा हैं. गौरतलब है कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी जीडीपी आंकड़े को लेकर संदेह जता चुके हैं.