लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ।यूपी सरकार आज-कल बिगड़ी कानून-व्यवस्था को लेकर विपक्ष के निशाने पर है चारों ओर पराधियों का बोलबाला है, न वक़ील सुरक्षित है न बेटियाँ कब किसके साथ क्या हो जाए कोई भरोसा नही है दस से पंद्रह घटनाएँ बलात्कार की हो चुकी है जिसमें मासूम बच्चियों को भी निशाना बनाया जा चुका है इसको लेकर योगी सरकार ब्यूरोक्रेट के पेच टाइट करने में लगी है लेकिन कोई प्रभाव नही पड़ रहा है इसकी गहनता से जाँच करने पर पता चला कि निचले स्तर पर सब कुछ ख़राब है थानों में तैनात थाना प्रभारियों को गांधी से बहुत लगाव है जिसकी वजह से आपराधिक घटनाएँ रूकने का नाम नही ले रही है।वैसे तो योगी सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद ये संदेश देने की कोशिश की गई थी कि अपराधियों की जगह जेल या ऊपर है जिसे योगी की भाषा में ठोक देना कहा जाता है देखा जाए तो एक हिसाब से ये नीति ठीक भी है अपराधी किसी का नही होता न वो हिन्दू होता है न मुसलमान होता है उसकी सही मायने में जगह ऊपर ही होनी चाहिए हाँ कुछ मौक़ा परस्त नेता अपराधियों में भी हिन्दू-मुसलमान करते है जिनका मक़सद उस धर्म या जाति के लोगों की सहानुभूति पाने के लिए ऐसा करते है जो किसी सूरत में सही नही कहा जा सकता है आपराधियों को बख़्शा नही जाना चाहिए लेकिन उसके दो पैमाने भी नही होने चाहिए कि उन्नाव से मोदी की भाजपा के विधायक बलात्कार के आरोपी कुलदीप सेंगर के लिए अलग व्यवस्था और एक आम आदमी के लिए अलग व्यवस्था ये सही नही है कानून की नज़र में अपराधी को अपराधी समझा जाना चाहिए ये भी नही होना चाहिए कि मोदी की भाजपा के किसी विधायक का थाना प्रभारी को फोन आ जाए और गैंगरेप की पीड़ित महिला की सुनवाई न हो इसको लेकर भी विपक्ष योगी सरकार को निशाने पर रखता है।देखने में आ रहा है कि थाना प्रभारी चार्ज लेते समय ये कहते है कि मुझे गांधी से बहुत प्रेम है इसका मतलब साफ है गांधी है तो आप कुछ भी कर सकते हो क्योंकि जब कानून का रख वाला गांधी से प्रेम करता है तो उसका कोई कुछ नही बिगाड़ सकता है आज थानों में व्याप्त भ्रष्टाचार अपनी सभी हदें पार कर चुका है यही भाजपा अपने से पूर्व की सरकारों पर थाने बेचने का आरोप लगाती थी लेकिन आज अपनी सरकार में अपराधियों पर लगाम नही लगा पा रही है क्या आज भी थाने बिक रहे है ? ये सवाल लोगों के ज़हन में घूम रहा है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रमुख सचिव एस पी गोयल जो कभी मायावती सरकार में कैबिनेट सचिव स्व. शशांक शेखर के सचिव हुआ करते थे उन्होने एक पेज का पत्र जारी कर समस्त प्रदेश के अफसरो को कुछ ख़ास दिशा-निर्देश जारी किए है जिसमें उन्होने अधिकारियों से कैंप कार्यालय में न बैठने की हिदायत दी है पत्र में कहा गया है कि सभी अफसर अपने कार्यालयों में बैठ जनता की समस्याओं का समाधान करें।योगी सरकार से पूर्व की सरकारें जनता से सीधे संवाद करने की वजह से कुछ ऐसी योजनाएँ बनाती थी कि जनता को लगे सरकार तक पहुँचना आसान है जैसे ‘’सरकार आपके द्वार’’ इस योजना की शुरूआत मुलायम सिंह यादव ने की थी इसका मक़सद था सरकार की योजनाओं का लाभ जनता तक पहुँच रहा है या नही दूसरा लोगों को न्याय मिल रहा है या नही मतलब थानों में या सरकारी कार्यालयों में लोगों का शोषण तो नही हो रहा आईएएस और आईपीएस अफसर गाँव दर गाँव रात बिताते थे और जनता से सीधा संवाद करते थे कि सबकुछ ठीक चल रहा है या नही इसको और सख़्ती से लागू किया आर्यन लेडी के नाम से अफसरो में अपनी धमक बना चुकी मायावती ने इन्होंने अफसरो को कहा कि जाओ गाँवों में जाकर रात बिताओ और पता करो कि क्या चल रहा है इसके बाद कभी भी किसी भी गाँव में अपना उड़न खटोला उतार सत्यापन करती थी कि जो रिपोर्ट आ रही है वह सही है या नही और अगर कही कोई कमी पाई जाती थी तो सम्बन्धित अफसर को मौक़े पर ही निलंबित कर हिसाब चुकता कर देती थी जिसकी वजह से अफसरो में उनका भय हो गया था और जनता को भी मायावती की यह नीति पसंद आती थी उनके जाने के बाद पूरे प्रदेश में चर्चा होती थी कि मायावती के यहाँ देर नही है तत्काल कार्यवाही होती है।इसके बाद अखिलेश ने भी इस योजना को चालू रखी लेकिन मायावती वाला प्रभाव वो नही डाल पाए लेकिन आज सब कुछ खतम है सब मोजमस्ती में मस्त है यही वजह है कि थानों में गांधी जी पसंद किए जा रहे है थानों का आलम ये है कि अगर किसी का मोबाईल खो गया तो उसकी सूचना तब तक नही ली जाएगी जब तक गांधी जी के दर्शन न कराए जाए पासपोर्ट की जाँच भी गांधी जी के बिना नही होती अब चाहे वो अपराधी ही क्यों न हो सब कुछ सही हो जाता है मगर गांधी जी होने चाहिए फिर कैसे रूके अपराध यही सवाल बना हुआ है।