(23 जून अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक दिवस पर विशेष लेख)

– प्रदीप कुमार सिंह

अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति की स्थापना 23 जून 1894 को शिक्षाविद् तथा खेल प्रेमी श्री पियर डी कूबर्टिन ने की थी। वह एक फ्रांसीसी शिक्षाशास्त्री और इतिहासकार थे। वह अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के संस्थापक और आधुनिक ओलम्पिक खेलों के जनक माने जाते हैं। इस दिवस की शुरूआत वर्ष 1948 में अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति द्वारा की गई, जब स्विट्जरलैंड में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के 42वें सत्र में यह निर्णय लिया गया था कि भविष्य में प्रत्येक वर्ष इस संगठन के गठन की तिथि पर (23 जून) अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक दिवस के रूप में मनाया जाएगा। ओलम्पिक खेल के झंडे में आपस में जुड़े पाँच गोलों को दिखाया गया है जो एकता और मित्रता का प्रतीक हैं।

ओलम्पिक दिवस हार-जीत की चिंता किए बिना खेल की भावना बढ़ाता है। ओलम्पिक खेल में खिलाड़ियों को पूरी तैयारी के साथ प्रतिभागिता महत्वपूर्ण है और अन्य बातें बाद में आती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य खेलों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और हर आयु वर्ग और लिंग के लोगों कि भागीदारी को बढ़ावा देना है।

प्राचीन ओलम्पिक की शुरूआत 776 बीसी में हुई मानी जाती है। ओलंपिया पर्वत पर खेले जाने के कारण इसका नाम ओलम्पिक पड़ा। लेकिन बाद में रोमन साम्राज्य की बढ़ती शक्ति से ग्रीस खास प्रभावित हुआ और धीरे-धीरे ओलम्पिक खेलों का महत्व गिरने लगा। ईस्वी 393 के आसपास ओलम्पिक खेल ग्रीस यानी यूनान में बंद हो गया। वर्ष 1896 में ओलम्पिक खेल ग्रीस यानी यूनान की राजधानी एथेंस में फिर से आयोजित किया गया था। 1896 के बाद वर्ष 1900 में पेरिस को ओलम्पिक की मेजबानी का इंतजार नहीं करना पड़ा और संस्करण लोकप्रिय नहीं हो सके क्योंकि इस दौरान भव्य आयोजनों की कमी रही। 2008 में चीन की राजधानी बीजिंग ओलम्पिक में अब तक का सबसे भव्य और अच्छा आयोजन माना गया है।

अंतर्राष्ट्रीय खेल समिति द्वारा विश्व के सबसे बड़े खेल प्रतियोगिता के रूप विख्यात ओलम्पिक खेल का आयोजन प्रति चार वर्षो में किया जाता है। यह विश्व में होने वाली अग्रणी खेल प्रतियोगिता है, इसमें विश्व के 200 से अधिक देश हिस्सा लेते हंै। इस ओलम्पिक प्रतियोगिताओं में कई तरह के ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन खेल होते हैं।

ओलम्पिक दिवस में विभिन्न देशों के लोग विभिन्न तरह के खेलों जैसे दौड़, एक्सिबिशन, म्यूजिक और एजुकेशन आदि में भाग लेते हंै और अपनी प्रतिभा का परिचय देते हंै। ओलम्पिक डे आज के समय में केवल एक स्पोर्ट्स इवैंट न रहकर काफी आगे बढ़ चुका है और इसके तीन मुख्य स्तंभ आगे बढ़ो, सीखा और खोजों हंै। यह एक अंतर्राष्ट्रीय प्रयास बन चुका है, जिसके द्वारा फिटनेस और अच्छा इंसान बनने को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस गेम्स के द्वारा खिलाड़ियों में सही खेल, एक दूसरे के लिए रिस्पेक्ट और स्पोर्ट्समेनशिप की भावना को बढ़ावा दिया जाता है। यह दिन लोगों को चुस्त और सक्रिय बने रहने के लिए प्रोत्साहित करता है।

अंतर्राष्ट्रीय खेल समिति के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं – 1. प्रत्येक देश में खिलाड़ियांे को प्रोत्साहित करना और उन्हंे सपोर्ट करना। खेलों और खेलों के संदर्भ में होने वाली प्रतियोगिताओं का विकास और व्यवस्थाआंे की देखरेख करना। 2. ओलम्पिक गेम्स के रेगुलर सेलिब्रेशन को संभावित करना। 3. यह समिति सार्वजनिक और निजी संगठनों और अधिकारियों के सहयोग से खेल क्षेत्रों में शांति और मानवता बनाए रखने के प्रयास करती है। 4. यह समिति ओलम्पिक आंदोलन को प्रभावित करती है तथा किसी भी प्रकार के भेदभाव का विरोध करती है। 5. यह समिति खेलों में हर स्तर पर महिलाओं को प्रोत्साहित करती है और हर जगह महिलाओं और पुरूषों के साथ समान व्यवहार करती है।

ओलम्पिक खेलों में मिलने वाले मेडल्स के अलावा भी कई ऐसे अवार्ड हंै, जिन्हंे अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति द्वारा खिलाड़ियों को दिये जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय खेल समिति द्वारा दिये जाने वाले अवार्ड इस प्रकार हैं – आई.ओ.सी. प्रेसिडेंट ट्राफी ओलम्पिक खेलों में मिलने वाला सबसे बड़ा अवार्ड है। यह उस खिलाड़ी को दिया जाता है जिसने अपने खेल में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया हो। साथ ही में उस खिलाड़ी का पूरा कैरियर भी उत्कर्ष प्रदर्शन वाला रहा हो और उसने अपने खेल में एक स्थायी प्रभाव दर्ज किया हो।

ओलम्पिक खेलों मंे दिया जाने वाला दूसरा अवार्ड ‘‘पीरे डे कोर्बटिन मेडल’’ है। यह उस खिलाड़ी को दिया जाता है जिसने पूरे ओलम्पिक खेल में एक स्पेशल खेल भावना का प्रदर्शन किया हो। ओलम्पिक खेलों में ओलम्पिक कप उस संस्था या संगठन को दिया जाता है, जिसने ओलम्पिक खेलों के विकास में प्रयास किए हो। ओलम्पिक आर्डर अवार्ड उस व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने ओलम्पिक खेलों में अपना विशेष योगदान दिया हो। अंतर्राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न खेल प्रतिस्पधाओं में विजेता खिलाड़ियों को स्वर्ण, रजत तथा काॅस्य पदक दिये जाते हैं।

भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद भी अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को तैयार करने में पूरी तरह सक्षम नहीं है। ओलम्पिक में हमारे देश का प्रदर्शन हमेशा खराब रहा है। ओलम्पिक में या किसी अन्य प्रतियोगिता में पदक जीतना राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए? केन्या और इथियोपिया, जो कि दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक हैं और उनके पास खाने-पीने का भी उचित प्रबंध नहीं है, फिर भी वे सबसे अच्छे और सबसे मजबूत खिलाड़ियों की उत्पत्ति करते हैं। हमें उनसे सीखना चाहिए कि वे ऐसा कैसे कर लेते हैं?

हमें अपने देश में स्कूल स्तरों पर अधिक से अधिक खेल प्रतियोगिताओं को आयोजित किया जाना चाहिए। सरकार को उभरते खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए धन तथा खेल के मैदान शहरी तथा ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में सर्वसुलभ कराना चाहिए। ओलम्पिक के खिलाड़ियों या अन्य ऐसे खेलों के चयन के दौरान कोई भी भेदभाव, आरक्षण और पक्षपातपूर्ण विचार नहीं होना चाहिए। भारत के हर खेल को क्रिकेट की तरह प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि खिलाड़ी पूरे मनोयोग तथा भरपूर उत्साह से खेल सकें।

भारतीय खिलाड़ियांे ने 30 ओलम्पिक खेलों में अब तक कुल 9 गोल्ड, 7 सिल्वर और 12 कास्य पदक जीते और भारत को विश्व खेल जगत में गौरवान्वित किया है। उन खिलाड़ियो का नाम, पदक, वर्ष तथा खेल का विवरण इस प्रकार है:- नार्मन प्रीचर्ड – सिल्वर – वर्ष 1900 एथलेटिक्स, नार्मन प्रीचर्ड -सिल्वर – वर्ष 1900 एथलेटिक्स, नेशनल टीम – गोल्ड – वर्ष 1928 हाकी, नेशनल टीम – गोल्ड वर्ष 1932 हाकी, नेशनल टीम – गोल्ड वर्ष 1936 भारतीय हाकी, नेशनल टीम – गोल्ड वर्ष 1948 हाकी, नेशनल टीम – गोल्ड वर्ष 1952 हाकी, खाशाबा दादासाहेब जाधव – कास्य वर्ष 1952 रेस्लिंग, नेशनल टीम – गोल्ड वर्ष 1956 हाकी, नेशनल टीम – सिल्वर वर्ष 1960 हाकी, नेशनल टीम – गोल्ड वर्ष 1964 हाकी, नेशनल टीम – कास्य वर्ष 1968 हाकी, नेशनल टीम – कास्य वर्ष 1972 हाकी, नेशनल टीम – गोल्ड वर्ष 1980 हाकी, लिंडर पेस – कास्य वर्ष 1996 टैनिस, करनाम मल्लेश्वरी – कास्य वर्ष 2000 वेट लिफ्टिंग, राज्यवर्धन सिंह राठोर – सिल्वर वर्ष 2004 शूटिंग, अभिनव बिंद्रा – गोल्ड वर्ष 2008 शूटिंग, विजेंद्र सिंह – कास्य वर्ष 2008 बाक्सिंग, सुशील कुमार – कास्य वर्ष 2012 रेस्लिंग, गगन नारंग – कास्य वर्ष 2012 शूटिंग, विजय कुमार – सिल्वर वर्ष 2012 शूटिंग, साइना नहवाल – कास्य वर्ष 2012 बैडमिंटन, मेरी काम – कास्य वर्ष 2012 बाक्सिंग, योगेश्वर दत्त – कास्य वर्ष 2012 रेस्लिंग, सुशील कुमार – सिल्वर वर्ष 2012 रेस्लिंग, पीवी सिंधू – सिल्वर – वर्ष 2016 बैडमिंटन तथा साक्षी मलिक – कास्य वर्ष 2016 रेस्लिंग।

भारत का लक्ष्य टोक्यो में 24 जुलाई से 9 अगस्त, 2020 तक आयोजित होने वाले अगले ओलम्पिक खेल में अधिक पदक जीतना होना चाहिए। अगले ओलम्पिक में भारतीय टीम विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के 130 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व करेगी। विजेता खिलाड़ी विश्व खेल जगत में अपने-अपने देश का नाम गौरवान्वित करते हंै। ओलम्पिक पदक विजेता इस बात को वैश्विक स्तर पर प्रमाणित करते हैं कि उनके देश में खेल को कितना महत्व दिया जाता है। सरकार के साथ ही निजी संस्थानों को भी यह सोचना है कि विश्व खेल जगत में भारत का नाम रोशन करने में वे क्या योगदान कर सकते हैं? जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता का मूल मंत्र व्यक्ति की दृढ़ इच्छाशक्ति, अटूट विश्वास एवं एकनिष्ठ प्रयास है। जगत गुरू भारत को वैश्विक स्तर पर हर क्षेत्र में अग्रणी बनना है ताकि शक्तिशाली भारत अपनी संस्कृति के अनुरूप सारी वसुधा को कुटुम्ब बना सके। अर्थात वीटो पाॅवर रहित तथा युद्धरहित वैश्विक लोकतांत्रिक तथा न्यायपूर्ण व्यवस्था का गठन कर सके। अभी नहीं तो फिर कभी नहीं।

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