नई दिल्ली: तमिलनाडु में जल संकट गहरा गया है। चेन्नई के ज्यादातर इलाकों में नलों की टोंटिया सूखी हैं। लोगों को कई दिनों तक पानी के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। आम लोगों का कहना है कि सरकार सिर्फ और सिर्फ वादे कर रही है। हकीकत में हर दिन और रात सिर्फ इस इंतजार में गुजर जाता है कि पानी के दर्शन होंगे।

पलानीसामी सरकार के खिलाफ लोग हाथ और सिर पर मटके लिए सड़कों पर उतर चुके हैं। लोगों का कहना है कि सरकार झूठे वादे क्योंकर रही है। इस विरोध में डीएमके के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम के स्टालिन भी सड़कों पर उतरे।

स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु सरकार को इस बात से मतलब नहीं है कि वो लोगों की प्यास बुझाए। सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए सरकार वादे तो कर रही है। लेकिन जमीन पर कुछ ठोस होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि इस विषय को डीएमके सांसद संसद में भी उठाएंगे। उन्होंने कहा कि इस विषय को लेकर तमिलनाडु सरकार कभी गंभीर नहीं रही। अगर सरकार जाग गई होती तो लोगों को इस तरह की मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता।

जलसंकट की यह तस्वीर सिर्फ तमिलनाडु तक ही सीमित नहीं है। राजधानी दिल्ली के तमाम इलाकों में लोगों को इस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पश्चिमी दिल्ली के साथ साथ दक्षिणी दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी के टैंकर का इंतजार करते रहते हैं। यही नहीं उन इलाकों में जब टैंकर आते हैं तो लोगों के बीच पानी के लिए मारपीट तक हो जाती है।

पानी की आस में देश के अलग अलग हिस्सों में प्राचीन परंपरा या टोटकों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। कानपुर में एक महिला सूखे खेतों की जोताई कर रही है। उसका कहना है कि यह परंपरा राजा जनक के समय से आज तक लोग करते आए हैं। लोगों को उम्मीद रहती है कि इस तरह के पूजा पाठ से इंद्र देवता मेहरबान होंगे और धरती की प्यास मिटाएंगे।