नई दिल्ली: एअर इंडिया को पिछले साल बेचने की मुहिम नाकाम होने के बाद केंद्र सरकार इसे बेचने के लिए एक बार फिर सक्रिय हुई है. केंद्र सरकार एयर इंडिया में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में एयर इंडिया को बेचने के लिए नया प्लान लाने की बात कही थी. नीति आयोग ने कंपनी की पूरी हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन सरकार ने एक रणनीतिक निवेशक को 74 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी, जो इसके न बिकने का बड़ा कारण बताया गया था. ऐसे में अब सरकार ने कंपनी की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, सरकार एअर इंडिया से बाहर निकल सकती है. डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) के सचिव अतानु चक्रवर्ती ने बताया कि अभी इसपर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. उनका मानना है कि सरकार को निवेशक द्वारा कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने से कोई आपत्ति नहीं होगी. ये भी पढ़ें: 50 हजार रुपये से ज्यादा कैश ट्रांजैक्शन का बदला नियम, फटाफट जानें

बीते वर्ष भी सरकार एअर इंडिया को बेचना चाहती थी, लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता के कारण सरकार ने इसे रोक दिया था. अब सरकार इसे बेचने के लिए एक बार फिर सक्रिय हुई है. कंपनी की पूरी हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव नीति आयोग ने दिया था, लेकिन सरकार ने एक रणनीतिक निवेशक को 74 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी, जो इसके न बिकने का बड़ा कारण बताया गया था.

सरकारी एयरलाइंस एअर इंडिया के हालत बुरे होते जा रहे हैं. कंपनी का वित्तीय संकट लगातार गहराता दिख रहा है. एअर इंडिया के पास अभी 2,500 करोड़ रुपये हैं, जो वेंडरों के भुगतान और कुछ महीनों की सैलरी देने में खत्म हो जाएगा. एअर इंडिया हर महीने सैलरी पर 300 करोड़ रुपये खर्च करती है. अगर हालत ऐसे ही रहते हैं तो अक्टूबर के बाद कंपनी सैलरी भी नहीं दे पाएगी.

एअर इंडिया को इस वित्त वर्ष में 9,000 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान शुरू करना है, लेकिन उसकी हालत ऐसी नहीं दिख रही है. इस साल कंपनी को जो कर्ज चुकाना था, उसमें से आधे का भुगतान वह अगले वित्त वर्ष के लिए टालने की कोशिश में है. कंपनी ने इस पर सरकार की मदद मांगी है. सरकार इस कंपनी में 100 फीसदी हिस्सेदारी निजी निवेशकों को बेचने की योजना बना रही है.