लखनऊ: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने उन्नाव व सोनभद्र की घटनाओं पर विरोध स्वरूप गुरुवार को यहां परिवर्तन चौक से हजरतगंज तक 'जवाब दो' मार्च निकाला और अम्बेडकर प्रतिमा पर धरना दिया। मार्च और धरने में उक्त दोनों घटनाओं के अलावा, धारा 370 व 35ए हटाने को संविधान व लोकतंत्र के खिलाफ बताते हुए जोरदार विरोध किया गया।

मुख्य वक्ता भाकपा (माले) की केंद्रीय समिति की सदस्य कृष्णा अधिकारी ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि योगी सरकार में कानून का राज खत्म हो गया है। उन्नाव कांड के मुख्य अभियुक्त भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर को तब पार्टी से क्यों नहीं निकाला गया, जब उनके खिलाफ रेप का मुकदमा कायम हुआ। सोनभद्र में तीन महिलाओं समेत 10 आदिवासियों की भूमाफिया द्वारा हत्या कर दी गई। प्रदेश में अल्पसंख्यकों की लिंचिंग (बिना मुकदमा चलाये हत्या) की चंदौली जैसी घटनाएं हो रही हैं।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश के संविधान और कश्मीर के साथ खिलवाड़ कर रही है। 1947 के बंटवारे जैसे हालात पैदा करने की कोशिश हो रही है।भाजपा लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर देश में फासीवादी शासन थोपना चाहती है। लेकिन भारत की अमन व लोकतंत्र पसंद जनता भाजपा के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देगी।

उनके अलावा, धरने को पार्टी के राज्य स्थायी (स्टैंडिंग) समित सदस्य रमेश सेंगर व अफरोज आलम, ऐपवा नेता मीना, माले राज्य कमेटी सदस्य राधेश्याम मौर्य, अतीक अहमद, राजीव कुशवाहा, ऐक्टू नेता राम सिंह व मधुसूदन मगन, गया प्रसाद, इंकलाबी नौजवान सभा के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य व राजीव गुप्ता व आइसा प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पासवान ने संबोधित किया। कार्यक्रम में सीतापुर, जालौन, लखनऊ, रायबरेली, इलाहाबाद, फैजाबाद, लखीमपुर खीरी व बस्ती जिले से आये लोगों ने भाग लिया।

इसके पहले, दोपहर में लाल झंडों, नारे लिखी तख्तियों व बैनरों से सुसज्जित मार्च परिवर्तन चौक से शुरू हुआ। मार्च में शामिल प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे : उन्नाव की घटना क्यों, सोनभद्र नरसंहार का जिम्मेदार कौन – योगी सरकार जवाब दो। उन्नाव पीड़िता को न्याय दो। हत्यारों-अपराधियों को संरक्षण देना बंद करो। धारा 370, 35ए बहाल करो, संविधान व लोकतंत्र पर हमले बन्द करो। मार्च हजरतगंज मुख्य बाजार होते हुए अम्बेडकर प्रतिमा पहुंच कर धरने में बदल गया।

धरने के अंत में प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को संबोधित ज्ञापन मजिस्ट्रेट को सौंपा गया। इसमें शामिल प्रमुख मांगें थीं : उन्नाव घटना की साजिश में शामिल सभी अपराधियों को गिरफ्तार कर कड़ी सजा दी जाए। सोनभद्र नरसंहार में उभ्भा गांव के पीड़ित आदिवासी परिवारों को कथित विवादित जमीन का कानूनी तौर पर मालिकाना हक दिया जाए और नरसंहार के दोषियों को सख्त सजा दी जाए।सोनभद्र-मिर्जापुर-नौगढ़ अंचल में राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी करके सोसाइटियों, न्यासों, ट्रस्टों, मठों व अन्य नामों से अर्जित सभी जमीनों को सरकारी कब्जे में लेकर आदिवासियों व भूमिहीनों के बीच वितरण का अभियान चलाया जाए। ज़मीनों पर पुश्तैनी रूप से रह रहे आदिवासियों की बेदखली तत्काल प्रभाव से रोकी जाए। चंदौली ने बीती 28 जुलाई को हुए सैय्यदराजा लिंचिंग मामले में मुख्य अभियुक्त समेत सभी सह अभियुक्तों को अविलंब गिरफ्तार किया जाए। लखनऊ के आशियाना थाना क्षेत्र में जाकिर की हाल में हुई मौत मामले में पुलिस की भूमिका की भी उच्चस्तरीय जांच की जाए और सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जाए।