लखनऊ: जम्मू और काश्मीर को दो भागों में बाॅट कर वहाॅ से धारा 370 और 35ए को हटाना स्व0 अटल जी के फार्मूले कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत के साथ धोखा है। लोकतांत्रिक जनता दल के प्रान्तीय अध्यक्ष जुबेर अहमद कुरैशी ‘‘क्रान्ति दिवस’’ पर प्रदेश के मुख्यालय पर आयोजित धरना, प्रदर्शन में अपने सम्बोधन में उक्त उद्गार प्रकट कर रहे थे। श्री जुबेर ने कहा कि भाजपा सरकार ने जम्मू और काश्मीर राज्य को दो टुकड़ों में बाॅट कर गैर लोकतांत्रितक तरीके से धारा 370 एवं 35ए को समाप्त करके लोकतांत्रिक संविधान की धज्जियां उड़ाने का कार्य किया है। आज काश्मीर राज्य की जनता अपने को ठगा महसूस कर रही है और यह उनके पुरखों द्वारा विलय के समय रखी गयी शर्तों के साथ विश्वासघात है। उन्होंने कहा कि जम्मू-काश्मीर की जनता के साथ हो रहा अन्याय आपातकाल की याद दिलाता है। श्री जुबेर ने प्रदेश की कानून और व्यवस्था पर सवाल उठाते हुये कहा कि सुशासन और रामराज्य की स्थापना का दम्भ भरने वाली योगी सरकार हत्या, लूट और बलात्कार का पर्याय बन चुकी है। जुल्फकार बेग ने उम्भा नरसंहार और उन्नाव के बलात्कार काण्ड का दशक की सबसे शर्मनाक घटना बताते हुये सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेने पर सर्वोच्च न्यायालय को साधुवाद दिया। उन्होंने कहा कि योगी सरकार में कानून व्यवस्था गर्त में चली गई है। राम भरोसे

सिंह ने कहा कि सरकार के विधायक बलात्कार कर रहे हैं। पीड़िता को न्याय दिलाने के बजाय सरकार उनके चाचा को फर्जी मुकदमें मेें जेल भेज दिया। धरने को सम्बोधित करते हुये सुरेन्द्र पटेल ने कहा कि कश्मीर के विभाजन का तत्काल निरस्त करके अनुच्छेद 370 को बहाल करना ही कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसनियत के साथ न्याय होगा। डा0 लोलारख उपाध्याय ने कहा कि उम्भा नरसंहार की जांच किसी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में कराये जाने की मांग करते हुये मृतक के आश्रितों को 30-30 लाख मुआवजा एवं 5 एकड़ कृषि योग्य जमीन तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। कठवा एवं उन्नाव बलात्कार काण्ड को राष्ट्र पर धब्बा बताते हुये इस काण्ड में भाजपा नेताओं की संलिप्तता को शर्मनाक बताते हुये दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्यवाही की मांग की। धरने में उपस्थित प्रमुख नेताओं में सर्वश्री बाबर खान, लो.ज.द., रवि तिवारी उपाध्यक्ष लो.ज.द., इन्द्रजीत यादव, आर.के. द्विवेदी, वाई.के.एस. यादव, रामजी गुप्ता, श्यामबाबू, ध्रुवदेव यादव, महेश यादव, श्रीराम राजपूत, ब्रजेश्वर यादव, महेश कुमार शुक्ला, राम सेवक, रतिराम, राधेश्याम यादव, अंकित सिंह, दयाराम यादव रहे।