नई दिल्ली: करगिल को लेह जिले के साथ रख कर और जम्मू कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने से नाराज करगिल के नागरिकों ने कहा है कि उनके विशेषाधिकार बरकरार रहने चाहिए। वे उन सब अधिकारों को वापस चाहते हैं जो उन्हें धारा 370 तथा 35 ए के तहत मिले हुए थे।

इसकी खातिर करगिल के राजनीतिक दल और स्थानीय लोग केंद्र सरकार पर उनके विशेषाधिकार को बरकरार रखने के लिए दबाव बना रहे हैं। इसके लिए उन्होंने राज्य के गृह विभाग के प्रमुख सचिव को भी अवगत करवा दिया है।

दरअसल, केंद्र शासित प्रदेश बनने की घोषणा के बाद से ही करगिल के लोगों में रोष है। भाजपा को छोड़ अन्य सभी राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता एकजुट हो गए हैं। उन्हें भय सता रहा है कि उन्हें जो विशेषाधिकार मिले थे, वह वापस ले लिए जाएंगे। स्थानीय नेता नसीर मुंशी का कहना है कि करगिल के लोगों ने कभी भी जम्मू कश्मीर से अलग होने की बात नहीं की। हम तो एकजुट होकर रहना चाहते थे। जो भी फैसला हुआ, उसमें उनकी राय नहीं ली गई।

वहीं, केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद गठित ज्वाइंट एक्शन कमेटी के सदस्य समझौते के मूड में तो हैं, लेकिन इसके बदले वह अपने अधिकारों का संरक्षण चाहते हैं। उनका कहना है कि लद्दाख ऑटोनामस हिल डेवलपमेंट काउंसिल कारगिल के गठन के बाद वे सशक्त हुए थे। इसे और मजबूत बनाया जाए। पहले की तरह ही यहां की भूमि पर सिर्फ स्थानीय लोगों का अधिकार हो।

रोजगार में भी स्थानीय युवाओं को ही प्राथमिकता मिले। उनकी संस्कृति का संरक्षण हो। जो भी मूलभूत सुविधाएं हैं, वे करगिल के लोगों के लिए हों। इस मुद्दे पर वे गृह मंत्री या फिर गृह मंत्रालय के अधिकारियों से सीधे बातचीत करना चाहते हैं। करगिल के लोग ऐसा कहकर केंद्र पर दबाव बना रहे हैं कि अगर उनकी मांगों को पूरा किया गया तो उन्हें केंद्र शासित प्रदेश से कोई परहेज नहीं है। करगिल के चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसलर फिरोज खान का कहना है कि उनकी राज्य सरकार के साथ बातचीत चल रही है।