हौज-ए-इल्मिया जामेअतुत तब्लीग में 73वीं यौमे आज़ादी हिन्द के मौके पर परचम कुशाई

लखनऊः हौज़ा-ए-इल्मिया जामेअतुत तब्लीग़ (मौलाना मिर्ज़ा आलिम साहब का मदरसा) मुसाहबगंज, लखनऊ में 73वाँ स्वत्रन्ता दिवस उत्साहपूर्वक मनाया गया। हौज़ा-ए-इल्मिया हुज्जतुल इस्लाम मौलाना मिर्ज़ा जाफ़र अब्बास के हाथों से झण्डा फहराया गया। इसके बाद मदरसे के तुल्लाब ने हिन्दुस्तान का कौमी तराना पढ़ा। इस मौके पर मदरसे के सरबराह हुज्जतुल इस्लाम मौलाना मिर्ज़ा जाफ़र अब्बास ने अपनी तकरीर में फरमाया कि आज हमारे लिये यह सब से बड़ी ख़ुशी की बात है कि हम अपने मुल्क की 73वीं यौमे आज़ादी की सालगिरह मना रहे हैं और हमारे दुश्मन जल रहे हैं। मौलाना ने कहा कि आज भारत पूरी दुनिया में एकता और इत्तिहाद का देश माना जाता है, हमारे देश की स्वतन्त्रता हमें एकता की शिक्षा देती है। देश की तरक्की के लिये एकता का होना ज़रूरी है। लोगों में इंसानियत इस लिये जरूरी है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने कर्बला में इंसानियत का मज़ाहिरा पेश किया। हमें भी चाहिये कि कर्बला से इंसानियत को सीखें। हम अपने मुल्क की तरक़्क़ी के लिये ख़ुदा से दुआ गो हैं, कि मेरा मुल्क तरक़्की की राहों में और आगे जाये और हमारे मुल्क के दुश्मन नीस्त व नाबूद हो जायें। इस मौके पर ओलमा और दानिशवरान की खिदमात को भुलाना नहीं चाहिये। मदरसे के प्रिन्सिपल रज़ा अब्बास ने अपनी तक़रीर का प्रारम्भ ‘‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’’ से किया और हुब्बुल वतनी के ऊपर बहुत ज़ोर दिया और कहा कि वतन की मोहब्बत निस्फ़ ईमान है। इस के अलावा मदरसे के तालिबे इल्म मौलवी इरशाद अब्बास व मौलवी ज़ीशान हैदर ख़ाँ और मौलवी मोहम्मद अली ने अरबी में तक़रीरों के ज़रिये अपने ख़्यालात का इज़हार पेश किया। इस मौके़ पर मदरसे के तोलबा ने आज़ादिये हिन्द के उनवान से तरानें पेश किये, जिनमें मौलवी कौसर रिज़वी ने बड़ी अच्छी कविता पेश की। निज़ामत के फ़राएज़ जनाबे मौलवी ज़ीशान हैदर ख़ाँ ने अंजाम दिये।