नई दिल्ली: भारत में आने वाले दिनों में मंदी दस्तक दे सकती है। दरअसल, देश में अंडरगार्मेंट्स क्षेत्र में बड़ी गिरावट से इसके संकेत मिले हैं। यूएस फेडरल रिजर्व बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ऐलन ग्रीनस्पैन की मानें तो इनरवियर की बिक्री में जून तिमाही में बुरी तरह गिरावट आई है, जो कि ‘मेन्स अंडरवियर इंडेक्स’ की प्रासंगिकता को दर्शाती है। बता दें कि 49 साल पहले 1970 के दशक में इस इंडेक्स को ग्रीनस्पैन ने ही ईजाद किया था।

इंडेक्स के मुताबिक, पुरुषों के अंडरगारमेंट्स की बिक्री में आने वाली गिरावट देश के खराब अर्थव्यवस्था की सचेतक होती है, जबकि इनरवियर की बिक्री बढ़ने पर इकनॉमी रफ्तार पकड़ते हुए आगे बढ़ती है।

चार शीर्ष इनरवियर कंपनियों के तिमाही प्रदर्शन इस दशक में सबसे कमजोर नजर आए। पेज इंडस्ट्रीज (जॉकी ब्रॉन्ड के अंडरगारमेंट्स बेचने वाली कंपनी) की सेल्स महज दो फीसदी बढ़ी, जो कि 2008 के बाद से इसका सबसे धीमी गति से हुआ विस्तार/वृद्धि है। डॉलर इंडस्ट्रीज और वीआईपी क्लोदिंग में भी क्रमशः चार प्रतिशत और 20 फीसदी की गिरावट दिखी, जबकि लक्स इंडस्ट्रीज की सेल्स में भी कमी दर्ज की गई।

पेज इंडस्ट्रीज के सीईओ वेदजी टिक्कू ने विश्लेषकों को पिछले हफ्ते बताया था, “मार्केट सेगमेंट इस वक्त अपने बेहतर प्रदर्शन पर इस समय नहीं है।” उनके मुताबिक, हम साफ देख रहे हैं कि ग्राहकों की संख्या पहले जैसी नहीं रही। सेंटिमेंट भी वह नहीं है, जो होना चाहिए। बाजार में ग्राहकों की संख्या बेहद कम है।”

मार्केट एक्सपर्ट्स ने कहा- सिकुड़ती डिस्पोजेबल इनकम ही भारतीय ग्राहकों को नई खरीदारी से पीछे खींचने का प्रमुख कारण है। 2010 से 14 के बीच नॉमिनल पर कैप्टिा डिस्पोजेबल इनकम ग्रोथ 13.3 फीसदी थी, पर 2015 से 18 के बीच यह 9.5 प्रतिशत पर आ गई।