डेंगू से लेकर डायबिटीज तक लड़ने में करे मदद
डेंगू से लड़ने से लेकर डायबिटीज तक के लिए रामबाण का काम करता है गिलोय, जानें कैसेडेंगू से लड़ने से लेकर डायबिटीज तक के लिए रामबाण का काम करता है गिलोय, जानें कैसे

गिलोय एक प्रकार का आयुर्वेदिक औषधि है। जिसका अंग्रेजी नाम टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया है। यह आयुर्वेदिक औषधि अनेक प्रकार की बीमारियों को दूर करने में सहायक साबित होता है। गिलोय में प्रचूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसका उपयोग कई हर्बल, आयुर्वेदिक और आधुनिक दवाओं के निर्माण के लिए किया जाता है। इसका तना अत्यधिक प्रभावी माना जाता है क्योंकि इसमें अधिक मात्र में एल्कलॉइड पाए जाते हैं। इसके अलावा गिलोय में पाए जाने वाले अन्य जैव-रासायनिक पदार्थों में स्टेरॉयड, फ्लेवोनोइड, लिग्नेंट और कार्बोहाइड्रेट शामिल हैं।

आयुर्वेद के अनुसार गिलोय का काढ़ा, पाउडर या रस के रूप में भी सेवन किया जा सकता है। एंटीहेल्मिक, एंटी-आर्थ्रिटिक, एंटी-पीरियोडिक, एंटी-पायरेटिक, एंटी-प्रुरिटिक, ब्लड-प्यूरीफायर और एंटी-डायबिटिक के तौर पर जाना जाता है। जीवा आयुर्वेद के निदेशक डॉ. प्रताप चौहान कहते हैं, “यह स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है।” इतना ही नहीं गिलोय को खास तौर पर डेंगू के मामलों में प्लेटलेट को बढ़ाने में भी करगार माना जाता है।
ऐसे करें गिलोय का सेवन

डॉ. चैहान सलाह देते हैं कि 2-3 ग्राम गिलोय का चूर्ण दिन में दो बार लें या 5-10 मिलीलीटर गिलोय का रस या आधा कप काढ़ा पिएं। (गिलोय के तने को तब तक उबालें जब तक यह आधा न हो जाए)।
एक फीट लंबा गिलोय का डंठल लें और उसका रस निकालें। इसे सात तुलसी के पत्तों के साथ मिलाएं। उन्हें कुछ मिनट के लिए पानी में उबालें। यह पेय डेंगू रोगियों की प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में मदद करने के लिए जाना जाता है। हालांकि, इसे लेने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लेना चाहिए।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, पाचन, और पुराने बुखार के इलाज के लिए गिलोय

गिलोय के कुछ पत्ते लें और उन्हें 400 मिलीलीटर पानी में तब तक उबालें जब तक पानी आधा न रह जाए। इस पानी को छान लें। 2-3 चुटकी लंबी काली मिर्च (पिप्पली) डालकर अच्छी तरह मिलाएं। इस खुराक का सेवन (लगभग 10-15 मिली) दिन में दो बार करें। इसे 1 चम्मच शहद के साथ भोजन से पहले लिया जाना चाहिए। यह पुराने बुखार, खांसी और संबंधित एनोरेक्सिया से राहत प्रदान करने में मदद करता है। साथ ही यह कब्ज से भी बचाता है।

डायबिटीज में भी लाभकारी

गिलोय को टाइप -2 मधुमेह के प्रबंधन में उपयोगी माना जाता है क्योंकि यह इंसुलिन के उत्पादन में मदद करता है। गिलोय एक हाइपोग्लाइकेमिक एजेंट के रूप में भी काम करता है जो मधुमेह को अच्छी तरह से प्रबंधित करने में मदद करता है। यह एजेंट रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में भी मदद कर सकता है क्योंकि यह अतिरिक्त ग्लूकोज को जलाता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) द्वारा 2012 के अध्ययन के अनुसार, गिलोय में मधुमेह विरोधी महत्वपूर्ण गतिविधि है।

आंखों के लिए

गिलोय को आंखों पर लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसका उपयोग पंचकर्म में भी किया जाता है।

स्किन के लिए

नीम, आंवला या एलोवेरा के रस के साथ गिलोय का रस विषैले पदार्थों को बाहर निकालने और आपकी त्वचा को सिर्फ 15 दिनों में बेहतर बनाने में मदद करता है।

(प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं, चिकित्सा सलाह नहीं )