हौज़ा-ए-इल्मिया जामेअतुत तब्लीग़ में ख़तीबुल इरफ़ान की मजलिसे तरहीम

लखनऊ : हौज़ा-ए-इल्मिया जामेअतुत तबलीग (मौलाना आलिम साहब का मदरसा) मुसाहबगंज, लखनऊ आज हौज़ा-ए-इल्मिया के साबिक़ सदर ख़तीबुल इरफ़ान आलीजनाब मौलाना मिर्ज़ा मोहम्मद अशफ़ाक़ साहब के ईसाल सवाब के लिये एक मजलिसे सैय्यदुश शोहदा का इंएक़ाद हुआ। मजलिस का आग़ाज़ तिलवाते कलामे रब्बानी से क़ारी मोहम्मद सोहराब मुक़ीम जामेअतुत तबलीग ने किया। बादहू जनाब नासिर दोसानी साहब व दीगर शोअरा-ए-कराम ने मन्ज़ूम नज़राने अक़ीद पेश किया । मजलिस को ख़तीबे मजलिस हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन आलीजनाब मौलाना ज़हीर अहमद इफ़्तिख़ारी साहब क़िब्ला ने अपने मख़सूस अन्दाज़ में खि़ताब किया। मौलाना मौसूफ़ ने मौलाये कायनात हज़रत अली इब्ने अबीताबिल अलैहिस्सलाम के फ़ज़ाएल बयान करते हुए मौलाना मौसूफ़ की ज़ाते गिरामी क़द्र पर रौशनी डालते हुए कहा कि ख़तीबुल इरफ़ान साहब अलल्लाह मक़ामा ‘‘इंसान के लिबास में एक फरिश्ता थे’’ एक अच्छे इंसान होने के साथ साथ अच्छे इंसान दोस्त भी थे। मौलाना मौसूफ़ अज़ाये हुसैनी बरपा करने के लिये माली इमदाद भी दिया करते थे। मौलाना मौसूफ़ एक बेहतरीन ज़ाकिरे हुसैन होने के साथ साथ एक अच्छे शायर भी थे। आप ज़ाकिरे ख़ुश बयान थे। आपकी आवाज़ आज भी कानों में गूंज रही है। मौलाना ने अपनी मजलिस मसाएबे आले मोहम्मद पर ख़त्म की।

याद रहे कि ख़तीबुल इरफ़ान हौज़ा-ए-इल्मिया जामेअतुत तब्लीग़ की मैनेजमेन्ट कमेटी के रूक्न रहे। फिर जब ख़तीबे अकबर का इंतेक़ाल हुआ तो आप को हौज़ा-ए-इल्मिया की सरपरस्ती सिदारत का ओहदा संभालना पड़ा और आप हौज़ा-ए-इल्मिया जामेअतुत तब्लीग़ में सदर मुन्तखब हुए आप को मदरसा से बुहत ज़्यादा लगाव था आप अकसर व बेशतर मदरसे में आया करते थे और आप ने मदरसे में बहुत ज़्यादा मजालिस भी खि़ताब कीं।

मजलिस के इख़्तिताम पर मुसाहबगंज की मशहूर व मारूफ़ अंजुमन, अंजुमन गुलतदस्त-ए-हैदरी ने नौहा ख़्वानी व सीना ज़नी की।

मजलिस में कसीर तादाद मे ंओलमा, ख़ुतबा , वाएज़ीन मोअज्ज़ेज़ीने षहर व तुल्लाबे उलूम दीनिया ने शिरकत फ़रमाई।