लखनऊ: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के बैनर तले पुरानी पेंशन बहाली सहित अन्य तय और समझौता युक्त मांगों पर सरकार के नकारात्मक रूख पर नाराज राज्य कर्मचारियों और शिक्षकों ने आज राजधानी मुख्यालय सहित जिला मुख्यालयों पर धरना देकर 11 सूत्रीय मांगों शीघ्र निस्तारण की मांग की है। राजधानी में आज विशिष्ट बीटीसी के प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित धरने का संचालन अमिता त्रिपाठी ने किया। इस धरने में पीसीएस संघ के पूर्व अध्यक्ष बाबा हरदेव सिंह भी शामिल हुए। धरने के उपरान्त एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को सम्बोधित 11 सूत्रीय मांग पत्र प्रेषित किया। धरने में सम्बोधन के द्वारा परिषद के प्रदेश महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने कहा कि अतिशीघ्र प्रदेश कार्यकारिणी बैठक कर अगले वृहद आन्दोलन की घोषणा की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा भत्तों की कटौती से नाराज कई अन्य घटक संगठन भी परिषद के साथ आन्दोलन में बड़ी भूमिका के लिए उनके सम्पर्क में है।

इस दौरान मुख्य वक्ताओं में इं. दिवाकर राय, अविनाश चन्द्र श्रीवास्तव, सुभाष चन्द्र तिवारी, पवन सिंह, जितेन्द्र कुमार, अमरजीत मिश्रा, वाहन चालक महासंघ के अध्यक्ष रामफेर पाण्डेय ने कहा कि पुरानी पेंशन, भर्तियों पर लगी रोक हटाने, आऊट सोसिंग समाप्त कर विभागीय संविदा या नियमित नियुक्ति सहित कई अन्य मांगों की प्रतिपूर्ति की मांग को लेकर प्रदेश के कर्मचारियों का आक्रोष तेज हो रहा है। सरकार को समय रहते अपने कर्मचारियों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर कार्रवाई करनी चाहिए। जबकि सूचना विभाग के संजय निर्मल, सत्येन्द्र द्विवेदी, आरटीओं के अखिलेश चतुर्वेदी, श्रम विभाग के फैजल , प्रवेश सिंह, वीरेन्द्र कुमार, अमरनाथ यादव, आशीष मिश्रा, विचित्र कुमार साहुू, प्रदीप मिश्रा, अमरजीत, नीलम श्रीवास्तव, रामसुरेश यादव और किरन दुबे ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रदेश के राज्य कर्मचारियों की जायज मांगों पर सिर्फ उच्च स्तर पर वार्ता और समझौते होते रहे लेकिन आदेश अब तक जारी नही किये गए। अब जबकि संसदीय चुनाव सम्पन्न हुए लम्बा समय बीत रहा है इसके बावजूद राज्य कर्मचारियों की जायज एवं तयशुदा मांगों पर कतिपय उच्चधिकारी अड़चन डालकर उलझा रहे है। कर्मचारियों की कैसलेश इलाज की सुविधा को तमाम आन्दोलनों एवं माननीय उच्च न्यायालय के निर्देषों के बाद कैबिनेट से पारित कराकर षासनादेष जारी करते हुए वर्तमान सरकार में इसका नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय कर्मचारी कैशलेश चिकित्सा रखा। परन्तु खेद का विशय है कि वर्तमान सरकार के गठन के दो वर्श से अधिक हो गए लेकिन कतिपय अधिकारियों की अनदेखी का षिकार सरकार की यह महत्वकाॅक्षी योजना सकार न हो सकी।इसी तरह प्रोन्नति में कम मानक परन्तु उसके स्थान पर दिया जा रहा पदोन्नति वेतनमान (ए.सी.पी.) का मानदण्ड अतिउत्तम निर्धारित कर प्रक्रिया को और अधिक जटिल बनाने के साथ कर्मचारियो के साथ गुलामों जैसा बर्ताव किया जा रहा है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिष्ंाद ने 11 सूत्रीय मांगों पर के लिए एक बार फिर सड़क पर उतरने का निर्णय लिया गया।वक्ताओं ने कहा कि अगर कर्मचारियों के प्रति सरकार के रवैये में सुधार नही आता तो निश्चित तौर पर प्रदेश राज्य कर्मचारी हड़ताल पर जाने को मजबूर होगां