नई दिल्ली: नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बीते दिनों देश में अभूतपूर्व नकदी संकट का दावा किया। उन्होंने कहा कि देश में पिछले 70 साल में नकदी का इतना भारी संकट नहीं देखा गया। सब नकद दबाकर बैठे हैं और कोई किसी पर भरोसा नहीं करना चाहता। इस बीच देश के सबसे बड़े बैंकों में शामिल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के चीफ रजनीश कुमार ने कहा कि उनके बैंक में एक लाख करोड़ रुपए की नकदी है जिसे वह इन्वेस्टमेंट के लिए बांट सकते हैं। बैंकों की ऋण देने में अनिच्छा के सवालों पर एसबीआई चीफ ने यह जवाब दिया।

एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में रजनीश कुमार से जब नीति आयोग के उपाध्यक्ष के दावे पर सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि उनके बैंक में तो किसी तरह का नकदी संकट नहीं है। एसबीआई चीफ ने कहा ‘अगर आप एसबीआई चीफ के रूप में मुझसे यह सवाल पूछ रहे हैं तो मैं कहना चाहता हूं कि मेरे बैंक में तो नकदी का कोई संकट नहीं है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एक महीने के भीतर एक लाख रुपए से ज्यादा का फंड कर सकता है। मेरे ख्याल से पूरे बैंकिंग सिस्टम में नकदी की कमी नहीं है। इसके साथ ही एक दूसरे को कर्ज भी दिया जा रहा है।’

उन्होंने आगे कहा ‘कंपनियां अपने कर्ज में कमी ला रही है जो कि कोई बुरी बात नहीं। अगर वे कर्ज में कमी करते हैं तो जाहिर है कि कॉर्पोरेट क्षेत्र में जाने वाला ऋण उतना अधिक नहीं होगा जितना हम उम्मीद करते हैं। ये कुछ संरचनात्मक परिवर्तन हैं जो अच्छे माने जा सकते हैं।’

मालूम हो कि धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र की मोदी सरकार सवालों के घेरे में है। केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई कदम उठा रही है। इसी क्रम में सरकार ने 10 पीएसयू बैंकों के विलय की शुक्रवार को घोषणा भी की है। सरकार का मानना है कि बैंकों के विलय से उनका कारोबार ठीक होगा और कर्ज देने की उनकी क्षमता बेहतर होगी।