नई दिल्ली: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पार्टी के भीतर बहुत बड़े उलट-फेर करने की तैयारी में हैं। उन्होंने कांग्रेस के पुराने दिग्गजों के ऊपर फिर से विश्वास जताने का मन बनाया है। पार्टी के नए सिरे सृजन के लिए और पदाधिकारियों की नियुक्ति में वह वफादारी को विशेष तरजीह दी जाएगी। अंग्रेजी अख़बार ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक सोनिया गांधी संगठन को नए सिरे से तैयार करने जा रही है। गौरतलब है कि कांग्रेस के भीतर बाहरी लोगों के दखल से संगठन के भीतर काफी अर्से से वफादार रहे नेताओं के भीतर कुंठा घर कर रही थी। ऐसे में पार्टी के भीतर बदलाव करने की मांग लंबे समय से उठ रही थी। सोनिया गांधी इस दौरान पुराने चेहरों पर विश्वास जता रही हैं। उन्होंने 15 साल के भीतर सांसद रहे कोंग्रेसियों की लिस्ट मंगवाई है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 10 अगस्त से सोनिया गांधी द्वारा बतौर अंतरिम अध्यक्ष कांग्रेस की कमान संभालने से नेताओं के भीतर जोश और मनोबल बढ़ता हुआ दिखाई दिया है। इसका स्पष्ट उदाहरण हरियाणा कांग्रेस से अशोक तंवर की विदाई और कुमारी शैलजा का प्रदेश अध्यक्ष बनना है। तंवर और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच आंदरूनी खींचतान काफी लंबे अर्से से चली आ रही थी। प्रदेश में स्थिति में संतुलन लाने के लिए शैलजा की नियुक्ति के साथ ही हुड्डा को विधायक दल का नेता बनाया गया। गौरतलब है कि हरियाणा में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव भी होने हैं।

इसी तरह महाराष्ट्र में भी गुटबाजी बीते कुछ सालों में प्रत्यक्ष रूप से उभर कर देखने को मिली है। यहां भी बदलाव देखे गए है। मिलिंद देवड़ा के मुंबई कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद उनकी जगह दिग्गज कांग्रेसी एकनाथ गायकवाड़ को जिम्मेदार दी गई। मुरली देवड़ा राहुल गांधी के करीबी बताए जाते हैं। उन्हें ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस के वाइस-चेयरमैन के पद से भी हटा दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट की मुताबिक उन्हें जल्द फेरबदल के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी।

पंजाब में भी स्टेट यूनिट के प्रमुख सुनील जाखड़ ने भी लोकसभा में हार के बाद इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया गया। जाखड़ को अभिनेता से नेता बने सनी देओल ने गुरदासपुर सीट से शिकस्त दी थी। माना जाता है कि जाखड़ की प्रदेश के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ काफी घनिष्ठता है, लिहाजा इस ट्यूनिंग को देखते ही कोई बदलाव पार्टी हाईकमान नहीं करना चाहता है। सोनिया गांधी 2004 के बाद से वफादार कांग्रेसी सांसदों की लिस्ट तैयार करा रही हैं ताकि उन्हें बेहतर जिम्मेदारी दी जा सके। इसके लिए पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पिछले हफ्ते ही सभी प्रदेश अध्यक्षों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। इसके अलावा पार्टी की फाइनैंशल स्थिति को भी ठीक करने के लिए कॉरपोरेट जगत के साथ तालमेल बैठाने की कवायद चल रही है।