क्रियेटर-प्रोड्यूसर सिद्धार्थ मल्होत्रा की दृष्टि हर उस प्रोजेक्‍ट पर रहती है, जिसका कंटेंट अब तक अछूता है। ऐसे समय में जब भारतीय केवल महिला सशक्तीकरण और उसके महत्व को समझने लगे हैं, सिद्धार्थ मल्होत्रा ने दृढ़ता से अपने शो में महिलाओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता महसूस की है। उनका मानना है कि मानसिकता बदलने और सही उदाहरण स्थापित करने का यह सबसे अच्छा तरीका है।

इस बारे में सिद्धार्थ मल्होत्रा कहते हैं, ‘मैं जो भी कंटेंट बनाता हूं और बनाने का लक्ष्य रखता हूं, उसे दो और तीन शहरों में दर्शकों द्वारा देखा जाता है, जहां एक महिला के चरित्र को उसके बाहरी स्वरूप के आधार पर आंका जाता है। मुझे सशक्त महिलाओं को चित्रित करना पसंद है जो अपने फैसले खुद करती हैं, हालांकि यह दुख की बात है कि टेलीविजन पर इसका अनुसरण नहीं किया गया है। हमारे पास यह बताने के लिए समकालीन कहानियां हैं और यह महत्वपूर्ण है कि महिलाओं को सही तरह की रोशनी में दिखाया जाए।

निर्माता-निर्देशक सिद्धार्थ मल्होत्रा ने हमेशा अपने द्वारा लिए गए हर प्रोजेक्ट में एक उदाहरण सेट किया है। चाहे वह ‘दिल मिल गए’ या ‘संजीवनी’ का निर्माण रहा हो, जब ये शैलियाँ भारतीय दर्शकों के लिए बेरोज़गार बनी हुई हैं या हिचकी जैसी फिल्म का निर्देशन हो, बॉक्स ऑफिस पर बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था। सिद्धार्थ ने हमेशा दर्शकों की वरीयताओं में बदलाव की भविष्यवाणी की है।

उन्होंने अब अपनी अगले प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है, जो एक महिला की कहानी के इर्द-गिर्द घूमती है।