न्यूयोर्क: संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा कि सत्ता में आने के बाद उन्होंने भारत से रिश्ते सुधारने के लिए अपना हाथ बढ़ाया लेकिन भारत की तरफ़ से उन्हें कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. उन्होंने कहा कि भारत में चुनाव होने वाले थे इसलिए मोदी सरकार के रवैये को वो समझ सकते हैं लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान और दोबारा सत्ता में आने के बाद भी नरेंद्र मोदी ने शांति के लिए पाकिस्तान की सभी कोशिशों को नकार दिया.

इमरान ने कहा कि जब भारत ने पाँच अगस्त को कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किया और 80 लाख लोगों पर हर तरह की पाबंदी लगा दी तो उन्हें समझ में आया कि दरअसल इसके पीछे मोदी सरकार का ख़ास एजेंडा है. उन्होंने कहा कि भारत ने शिमला समझौता और अपने ही संविधान के ख़िलाफ़ ये क़दम उठाया है. उन्होंने कहा कि जब भारत प्रशासित कश्मीर में पाबंदी हटेगी तो वहां क़त्ले-आम होने की आशंका है. इमरान ने कहा कि 80 लाख कश्मीरी जानवरों की तरह ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत प्रशासित कश्मीर में हो रही कथित ज़्यादतियों पर दुनिया इसलिए ख़ामोश है क्योंकि भारत एक बड़ा बाज़ार है.

इमरान ने कहा कि इस बात की बहुत आशंका है कि भारत में कश्मीरी युवक किसी हिंसा में शामिल हों और भारत इसके लिए पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराए. उन्होंने कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान में जंग होगी तो एक छोटा देश होने के नाते पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार के इस्तेमाल के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं होगा.

इमरान ने कहा कि 1939 में यूरोप ने हिटलर का तुष्टिकरण किया जिसका नतीजा ये हुआ कि दुनिया को दूसरे विश्व युद्ध से गुज़रना पड़ा. उन्होंने दुनिया से अपील की कि आज कश्मीर में यही हालात हैं और दुनिया को इसके हस्तक्षेप करना चाहिए. इमरान ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस संगठन राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के आजीवन सदस्य हैं, वो हिटलर और मुसोलीनी को अपना आइडियल मानते हैं. इमरान के मुताबिक़ आरएसएस की विचारधारा ने ही महात्मा गांधी की हत्या की थी.

इमरान ख़ान ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को अपनी ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए और उसे अपने कश्मीर के मामले में अपने ही प्रस्तावों को लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र समेत पूरी दुनिया को इस बात के लिए भारत पर दबाव डालना चाहिए कि भारत सबसे पहले कश्मीर में लगी पाबंदी हटाएं. इमरान ने कहा कि कश्मीरी राजनेता और हज़ारों बच्चे और नौजवान जो हिरासत में हैं उनको फ़ौरन रिहा किया जाए. उन्होंने कहा कि कश्मीरियों को आत्म-निर्णय का अधिकार मिलना ही चाहिए. इमरान ख़ान ने तक़रीबन 50 मिनट का लंबा भाषण दिया.