नई दिल्ली: कॉमर्शियल वाहन बनाने वाली कंपनी अशोक लेलैंड ने शुक्रवार को कहा कि वह अपने कई प्लांटों में 15 दिन के लिये काम बंद रखेगा। कंपनी ने इसके पीछे बाजार में डिमांड होने को कारण बताया। कंपनी के कई प्लांट अक्टूबर माह में 2 से 15 दिन के लिये बंद रहेंगे। इसे नॉन वर्किंग डेज कहा जाएगा। कंपनी ने यह कदम घरेलू ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में चल रहे स्लोडाउन (मंदी) के चलते उठाया है।

ऐसा ही कुछ हाल एक और बड़ी वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स का है। कंपनी के ही एक बयान के मुताबिक सितंबर में उसकी कुल बिक्री 48 प्रतिशत घटकर 36,376 वाहन रही। पिछले साल सितंबर में कंपनी ने 69,991 वाहन बेचे थे। समीक्षावधि में कंपनी की कुल घरेलू बिक्री 50 प्रतिशत गिरकर 32,376 वाहन रही जो पिछले साल सितंबर में 64,598 वाहन थी। इसमें यात्री वाहन की घरेलू बिक्री 8,097 वाहन रही जो पिछले साल की इसी अवधि की 18,429 वाहन की बिक्री से 56 प्रतिशत कम है।

होंडा कार्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, बजाज ऑटो, सुजुकी मोटरसाइकिल का भी कुछ ऐसा ही हाल रहा। सितंबर महीने में जहां महिंद्रा की बिक्री 21 प्रतिशत घटकर 43,343 इकाई पर पहुंच गयी वहीं होंडा कार्स की बिक्री भी 37 प्रतिशत घटी। अशोक लेलैंड की बिक्री का आंकलन करें तो इसमें 55 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

ऑटोमोबाइल सेक्टर में लगातार चल और आर्थिक मंदी को लेकर सरकार की नीतियों पर भी कई तरह के आरोप लगे। इसी बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक बयान दिया था जिसे लेकर काफी विवाद भी हुआ। दरअसल निर्मला सीतारमण ने ऑटो सेक्टर में मंदी की वजह ओला उबर को बताया था। इसपर लोगों ने उनसे सोशल मीडिया के जरिये कई तरह के सवाल भी किये थे। किसी ने कहा कि कार नहीं बिक रही अगर उनकी वजह ओला, उबर हैं। तो ट्रक और ट्रैक्टर न बिकने के पीछे क्या वजह है?