नई दिल्ली: आईएनएक्स मीडिया मामले में चार पूर्व अधिकारियों पर मुकदमा चलाने पर चिंता जताते हुए 71 सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखा है। इस लेटर में उन्होंने कहा है कि इस तरह की कार्रवाई परिश्रमी और ईमानदार अधिकारियों को महत्वपूर्ण निर्णय लेने में हतोत्साहित करेगी। पूर्व नौकरशाहों का कहना है कि संकीर्ण राजनीतिक फायदों के लिए पूर्व व मौजूदा अधिकारियों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन अफसरों पर केस दर्ज करने के गंभीर परिणाम होंगे। नौकरी कर रहे अधिकारियों के प्रभावित होने के कारण इसका परिणाम नीतिगत पंगुता के रुप में भी देखने को मिल सकता है।

पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने नीतिगत पंगुता को दूर करने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में पिछले साल संशोधन किया था। इसमें रिटायर्ड अधिकारियों या सेवारत अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले सरकार से अनुमति लेने की बात कही गई थी। लेकिन मौजूदा कदम सरकार के प्रयासों को नुकसान पहुंचाएगा।

अधिकारियों ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जी रही है जो सेवा में नहीं हैं। इन अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला चलाया जा रहा है जो साफ तौर पर राजनैतिक प्रतिदंद्विता के कारण शुरू हुआ है। बता दें कि इससे पहले रिटायर्ड अधिकारी पीएम मोदी को मॉब लिंचिंग और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर पत्र लिख चुके हैं।

इस लेटर पर पूर्व कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर, पूर्व विदेश सचिव एवं पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह और पंजाब के पूर्व नौकरशाह जूलियो रिबेरियो जैसे सेवानिवृत्त नौकरशाहों के हस्ताक्षर हैं। पूर्व नौकरशाहों ने ‘संकीर्ण राजनीतिक लाभ’ के लिए सेवानिवृत्त एवं सेवारत नौकरशाहों को चुनिंदा ढंग से निशाना बनाए जाने पर भी चिंता जताई।

सरकार ने आईएनएक्स मीडिया को एफआईपीबी मंजूरी देने के मामले में पिछले महीने सीबीआई को नीति आयोग की पूर्व मुख्य कार्याधिकारी सिंधु खुल्लर, सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के पूर्व सचिव अनूप के. पुजारी, वित्त मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक प्रबोध सक्सेना और आर्थिक मामले विभाग में पूर्व अवर सचिव रबींद्र प्रसाद पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी।

सरकार ने इसी साल फरवरी में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दी दे दी थी, जिसके बाद उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था। पत्र में कहा गया है कि यदि परिश्रमी और ईमानदार अधिकारियों को तत्कालीन सरकार के नीतिगत निर्णयों को क्रियान्वित करने के अलावा बिना किसी गलती के चुनिंदा ढंग से निशाना बनाया जाता है तो सेवारत अधिकारी स्वाभाविक रुप से हतोत्साहित होंगे।