लंदन: ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाले समाचारपत्र टाइम्ज़ की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश सरकार ने एक तीसरे देश का सहारा लेकर ईरान के मिल्लत बैंक को हर्जाने के रूप में एक अरब 25 करोड़ पौंड दिए हैं और अमरीकी प्रतिबंधों की पूरी तरह से अनदेखी कर दी है। ईरान के मिल्लत बैंक ने ब्रिटेन की सरकार के ख़िलाफ़ इस देश के उच्चतम न्यायालय में ग़ैर क़ानूनी कार्यवाहियों के आरोप में मुक़द्दमा दायर किया था और अदालत ने बैंक के पक्ष में और ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ फ़ैसला दिया है। ब्रिटेन के वित्तमंत्रालय ने बताया कि न्यायालय ने सरकार को लगभग तीन अरब पौंड का हर्जाना देने को कहा था लेकिन दोनों पक्ष न्यायालय से बाहर मामला सुलझाने पर सहमत हो गए जिसके बाद ब्रिटेन की सरकार ने एक तीसरे देश के माध्यम से हर्जाने के सवा अरब पौंड ईरान के मिल्लत बैंक को दे दिए हैं।

ज्ञात रहे कि वर्ष 2009 में ब्रिटेन के वित्त मंत्रालय ने यह दावा करते हुए कि मिल्लत बैंक, जिसके 17 प्रतिशत शेयर ईरानी सरकार के हैं, ईरान के परमाणु कार्यक्रम में शामिल है, उसे प्रतिबंधित बैंकों की अपनी सूची में शामिल कर दिया था। मिल्लत बैंक ने इसके ख़िलाफ़ ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय में मुक़द्दमा दायर कर दिया था। अदालत ने फ़ैसला सुनाया है कि ब्रिटेन का प्रतिबंध ग़ैर क़ानूनी था अतः उसे मिल्लत बैंक को हर्जाना देना होगा। मिल्लत बैंक ने हर्जाने की रक़म मिल जाने की पुष्टि की है। ब्रिटेन ने ऐसी स्थिति में ईरान को यह रक़म दी है कि जब अमरीका ने ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं।