नई दिल्ली: अमेरिका में बेरोज़गारी की दर सितंबर 2019 में पिछले 50 सालों में सबसे कम सिर्फ 3.5 फीसदी रही. खबर आते ही तहलका मच गया और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फौरन ट्विटर पर आकर अपने विरोधियों को साफ संदेश दिया कि उन पर महाभियोग चलाए जाने का कदम कितना गलत है. लेकिन, इस खबर के कई पहलू हैं. बेरोज़गारी की दर कम होने के मायने क्या हैं? चीन के साथ अमेरिका के ट्रेड वॉर (Trade War) और अर्थव्यवस्था के स्लोडाउन के संदर्भ में इसे कैसे देखा जाए और ये भी जानने लायक बात है कि दर कम होने के पीछे ट्रंप या उनकी सरकार का क्या रोल है.

ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से अब तक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 64 लाख नौकरियां जुड़ने का दावा किया गया है. श्रम आंकड़ों के ब्यूरो की इस रिपोर्ट में दावा है कि नौकरियां बढ़ने के साथ ही आमदनी भी ठीक बनी रहना ही कामयाबी नहीं है बल्कि अमेरिका में श्रमिकों के जीवन स्तर में भी सुधार हुआ है. इन दावों के पीछे के कारणों और इससे जुड़े पूरे दृश्य को समझना आपके लिए रोचक होगा.

पिछले छह महीनों में मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में नौकरियां जाने और जो बची हैं, उनमें वेतन के स्थिर रहने का दावा किया जा रहा है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट की मानें तो रिटेल और यूटिलिटी सेक्टर में भी नौकरियां जाने का सिलसिला बना हुआ है. इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि बेरोज़गारी की दर कम होने वाली रिपोर्ट कमज़ोर आर्थिक आंकड़ों पर बनाई गई है. दावा किया गया है कि पिछले 10 साल में सबसे खराब हालत इस समय मैनुफैक्चरिंग सेक्टर की है और सर्विस इंडस्ट्री के आंकड़े भी खुशगवार नहीं हैं. इस रिपोर्ट को मंदी के साथ अर्थव्यवस्था का फ्लर्ट करार दिया गया है.

दिसंबर 1969 से कभी ऐसा नहीं हुआ कि बेरोज़गारी की दर इतनी कम रही हो, जितनी इस बार देखी गई. ये कैसे संभव हुआ? रॉयटर्स की रिपोर्ट है कि तकरीबन हर सेक्टर में नौकरियां मिलनी मुश्किल है, लेकिन सरकारी भर्तियां ज़ोरों पर हैं. राज्य और स्थानीय सरकारें ताबड़तोड़ भर्तियां कर रही हैं. अगस्त 2019 में जहां 1 लाख 22 हज़ार के करीब भर्तियां हुईं, वहीं सितंबर में 1 लाख 14 हज़ार के आसपास.

लेकिन बेरोज़गारी की रिपोर्ट पर सवाल खड़े करते हुए कहा जा रहा है कि मैनुफैक्चरिंग में अगस्त के बाद सितंबर में भी और 2 हज़ार नौकरियां गई हैं. ट्रेड वॉर से कर्मचारी भयभीत हैं. आटो सेक्टर में 4100 जॉब गए हैं. वहीं, कंस्ट्रक्शन रोज़गार में 7 हज़ार जॉब्स बढ़े हैं लेकिन रिटेल सेक्टर में 11 हज़ार 400 जॉब चले गए.

ट्रंप सरकार ने चीन के साथ पिछले 15 महीने से जो ट्रेड वॉर छेड़ रखा है, उसको लेकर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तरह तरह के डर पैदा हो रहे हैं. ये बात कहते हुए बीबीसी की रिपोर्ट में उल्लेख है कि इस ट्रेड वॉर के कारण बिज़नेस जगत में आत्मविश्वास घटा है और निवेश व उत्पादन पर भारी असर हुआ है. बेरोज़गारी की दर में कमी आने के बावजूद अर्थशास्त्रियों के हवाले से ये रिपोर्ट कहती है कि इस साल ट्रंप प्रशासन ने ब्याज दरों में दो बार कटौती की है और इस साल के अंत तक एक बार और की जा सकती है. ये भी एक बड़ा कारण रहा है कि रोज़गार को लेकर आंकड़े ट्रंप प्रशासन के पक्ष में गए हैं.