नई दिल्ली: रेल मंत्रालय ने 50 रेलवे स्टेशनों और 150 ट्रेनों के निजीकरण का खाका तैयार करने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया है। इस बारे में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने इस बारे में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव को पत्र लिखकर एक अधिकार प्राप्त समूह बनाने का प्रस्ताव दिया था और इस प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से लागू करने की बात कही थी।

आदेश में कहा गया है, 'रेल मंत्रालय ने 50 रेलवे स्टेशनों के विकास के लिए सचिवों के एक अधिकार प्राप्त समूह का गठन करने का फैसला किया है। नीति आयोग के सीईओ, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के अलावा आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव और सचिव, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय और वित्तीय आयुक्त (रेलवे) सशक्त समूह का हिस्सा होंगे। सदस्य, इंजीनियरिंग रेलवे बोर्ड और सदस्य, ट्रैफिक रेलवे बोर्ड भी इसमें शामिल होंगे।'

यह समूह बोली की प्रक्रिया, आरएफपी, आरएफक्यू को मंजूरी देगा और निगरानी भी करेगा। साथ ही यह भी सुनिश्चित करेगा कि परियोजनाओं को "समयबद्ध तरीके" से अवार्ड किया जाए।

सीईओ अमिताभ कांत ने 7 अक्टूबर को लिखे अपने पत्र में हाल ही में 6 एयरपोर्ट के निजीकरण के अनुभव के बारे में जिक्र करते हुए कहा था कि इसी तरीके का काम रेलवे के लिए भी किया जा सकता है। इसी आधार पर उन्होंने ट्रेनों के निजीकरण के लिए एक इंपावर्ड ग्रुप ऑफ सेक्रेट्रीज बनाने का सुझाव दिया था।

देश की पहली निजी ट्रेन 'तेजस एक्‍सप्रेस' 4 अक्टूबर को शुरु की गई थी। 'तेजस एक्‍सप्रेस' से यात्रा करने वाले यात्रियों को यदि ट्रेन नियत समय पर नहीं पहुंचाती है तो इसके बदले यात्रियों को मुआवजा दिया जाएगा। दिल्ली-लखनऊ के बीच चलने वाली 'तेजस एक्सप्रेस' को लेकरआईआरसीटीसी पहले ही घोषणा कर चुकी है। रेलवे की सहायक कंपनी आईआरसीटीसी के अनुसार, अगर यह ट्रेन अपने नियत समय से लेट होती है, तो यात्रियों को मुआवजा दिया जाएगा। ट्रेन के यात्रियों को भोजन और 25 लाख रुपये का बीमा भी दिया जाएगा।