नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि चीन के साथ नए संबंधों की शुरुआत हुई है। उन्होंने कहा कि बीते 2000 वर्षों में ज्यादातर समय तक दोनों देश वैश्विक आर्थिक शक्तियां रहे हैं, और एक बार फिर उसी ओर बढ़ रहे हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ दो दिन की बैठक के बाद मोदी ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा, हमने तय किया कि विवादों को झगड़ों में नहीं बदलने देंगे। दोनों एक दूसरे की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहेंगे। जिनपिंग ने कहा कि बातचीत से रिश्तों में नई गर्माहट आई है। दो दिनों में नेताओं के बीच कई सत्रों में लगभग साढ़े पांच घंटे तक बातचीत हुई। शनिवार को पहले दोनों नेताओं के बीच, उसके बाद प्रतिनिधि स्तर की बैठक हुई।

मोदी और जिनपिंग की इस मुलाकात को अनौपचारिक कहा जा रहा है। भारत और चीन के बीच वुहान में पिछले साल अनौपचारिक मुलाकात की शुरुआत हुई थी। मोदी ने कहा कि वुहान से हमारे संबंधों में नई गति और भरोसा पैदा हुआ था, चेन्नई बैठक से आपसी सहयोग के नए युग की शुरुआत होगी। विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा, “दोनों नेता आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं, ताकि दोनों देशों के बहु-सांस्कृतिक और बहु-धार्मिक समाजों पर इनका असर न हो।”

मोदी ने कहा कि दोनों देशों के रिश्ते विश्व में शांति का उदाहरण हैं। हमने तय किया था कि हम मतभेद को विवाद नहीं बनने देंगे। वुहान में पिछले साल भारत और चीन के बीच पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता से हमारे संबंधों में नई स्थिरता आई और एक नई गति मिली। चीन और तमिलनाडु के बीच गहरे सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध रहे हैं।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि मैं भारत में मिले सम्मान से अभिभूत हूं। मैंने और चीन से आए मेरे सहयोगियों ने इसे महसूस किया है। ये दौरान उनके और उनके साथियों के लिए यादगार दौरा रहेगा। जैसा कि कल पीएम मोदी ने कहा था, दोनों नेताओं के बीच शुक्रवार को द्विपक्षीय मुद्दों पर बेहद सकारात्मक माहौल में बातचीत हुई थी। अनौपचारिक बातचीत से रिश्तों में नई गर्माहट आई है।