लखनऊ. योगी सरकार ने शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के संपत्तियों की खरीद-फरोख्त में अनियमितता की जांच सीबीआई (CBI) से कराने की सिफारिश की है. प्रयागराज और लखनऊ में दर्ज मुकदमों को इसका आधार बनाया गया है. शनिवार रात को सिफारिश मुख्य गृह सचिव की. यूपी के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा अनियमित रूप से क्रय-विक्रय और स्थानांतरित की गई वक्फ संपत्तियों की जांच और विवेचना सीबीआई से कराए जाने का फैसला किया गया है. इस संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा कोतवाली प्रयागराज और थाना हजरतगंज लखनऊ में मुकदमा दर्ज है.

अपर मुख्य सचिव गृह ने बताया कि सचिव कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय भारत सरकार और निदेशक सीबीआई को पत्र भेज दिया गया है. पत्र में प्रयागराज के कोतवाली में 26 अगस्त 2016 को दर्ज शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और 27 मार्च 2017 को हजरतगंज कोतवाली में दर्ज मुकदमों की जांच सीबीआई से कराए जाने का अनुरोध किया गया है.

इस मामले में पहली एफआईआर प्रयागराज के कोतवाली थाने में दर्ज की गई थी. इस एफआईआर में इमामबाड़ा गुलाम हैदर त्रिपोलिया (पुरानी जीटी रोड) पर अवैध रूप से दुकानों का निर्माण शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी के द्वारा शुरू कराया गया था. इसे क्षेत्रीय अवर अभियंता द्वारा निरीक्षण के बाद पुराने भवन को तोड़कर किए जा रहे अवैध निर्माण को बंद करा दिया था. बाद में फिर से निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया.

वहीं, दूसरी एफआईआर जो लखनऊ के हजरतगंज थाने में 27 मार्च 2017 को दर्ज की गई थी, में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी और वक्फ बोर्ड के अधिकारियों पर 27 लाख रुपये लेकर कानपुर में वक्फ की बेशकीमती संपत्ति का पंजीकरण निरस्त करने और पत्रावली से महत्वपूर्ण कागजात गायब करने का आरोप लगाया गया.

जानकारी के मुताबिक, यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा गलत तरीके से तमाम जमीनों की खरीद और ट्रांसफर कराने की शिकायतें मिल रही थीं, जिसके बाद सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की गई.