नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवाद से लड़ने के लिए तौर-तरीकों में बदलाव करने का सुझाव देते हुए पाकिस्तान पर हमला बोला। उन्होंने पाकिस्तान को आतंकियों को समर्थन देने वाला राष्ट्र बताते हुए कहा कि इस्लामाबाद को इसमें विशेषज्ञता हासिल है।

एनएसए ने कहा कि आतंकवाद को समर्थन देना पाकिस्तान की राष्ट्रीय नीति बन गई है। उन्होंने कहा कि अभी पाकिस्तान पर एफएटीएफ का बहुत दबाव है। एफएटीएफ की बैठक अभी पेरिस में जारी है। आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुखों की बैठक को संबोधित कर रहे डोभाल ने कहा कि पाकिस्तान पर सबसे अधिक दबाव एफएटीएफ के पदाधिकारी बना रहे हैं।

डोभाल ने कहा कि मौजूदा समय में कोई भी देश युद्ध करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि इसमें जानमाल का बड़ा नुकसान होगा और किसी की जीत भी सुनिश्चित नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान देश की नीति के एक साधन के तौर पर आतंकवाद का इस्तेमाल करता रहा है।’ डोभाल ने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि आतंकवाद एक सस्ता विकल्प है जो दुश्मनों को काफी हद तक नुकसान पहुंचा सकता है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एटीएस, स्पेशल टास्क फोर्स की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में डोभाल ने कहा कि हमें पता है कि आतंकवाद को मदद बाहर से मिलती है। यह कोई नया नहीं है। उन्होंने कहा, 'आतंकवाद पर जांच और समय रहते उसकी जानकारी के लिए सभी सुरक्षा एजेंसियों को आपस में बेहतर समन्वय होना जरूरी है।'

डोभाल ने कहा कि पाकिस्तान पर अभी जो सबसे बड़ा दबाव है, वह एफएटीएफ की तरफ से है। किसी और ऐक्शन की वजह से शायद ही ऐसा दबाव बन पाता।

डोभाल ने कहा कि आज कोई देश युद्ध नहीं चाहता क्योंकि वे परिणाम को लेकर आश्वस्त नहीं रहते हैं। ऐसे में स्टेट स्पॉन्सर आतंकवाद के जरिए दुश्मनों की नुकसान पहुंचाने की कोशिश होती है। सबको पता है पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करता है। ऐसे में टेरर फंडिंग को रोकने की जरूरत है।

डोभाल ने सुरक्षा एजेंसियों की चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा, 'अगर एक अपराधी को एक राष्ट्र का समर्थन करता है तो यह और बड़ी चुनौती बन जाती है। कुछ राष्ट्रों को तो इसमें विशेषज्ञता हासिल है। हमारे मामले में पाकिस्तान तो आतंकवाद को राष्ट्रीय नीति ही बना चुका है।' उन्होंने कहा कि कुछ देश आतंकवाद को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं।

डोभाल ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सभी के साथ मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि लश्कर, हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों की जानकारी देना केवल एक एजेंसी के जिम्मे नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा, 'कश्मीर में एनआईए का काम शानदार रहा है। मनी लॉन्ड्रिंग और अलगाववादियों के खिलाफ इस एजेंसी में नियमों के अंदर शानदार काम किया। जहां जरूरी हुआ वहां दबाव भी बनाया गया। एनआईए के कारण ही विदेशों से पैसा पाने वाले लोगों को अब मदद मिलनी बंद हो गई।