लखनऊ: हजरत मख़दूम शाह मीना शाह रह अलै का 557 वां कदीमी सालाना उर्स आज सोमवार को शुरू हो गया। पहले रोज बाद नमाज मगरिब हजरत शाह मीना शाह के वालिदैन के मजारात (सोंधी टोला चौक पर जुलूस के साथ चादर पेश की गई, बाद नमाज इशा ईद मीलाद उन्नबी व नातिया मुशायरा का प्रोग्राम मुनाकिद हुआ प्रोग्राम की सदारत पीरजादा शेख़ राशिद अली मीनाई मुतवल्ली व सज्जादा नशीन ने की। प्रोगाम का आगाज कारी मुहम्मद अजमल ने तिलावत कलाम पाक से किया। प्रोग्राम से खिताब करते हुए मौलाना इश्तियाक अहमद क़ादरी प्रिंसिपल मुदर्रिसा शेख उल आलम साबिर चिश्तिया अबरार नगर ने कहा कि औलियाए किराम के आस्तानों से कलब को सुकून मिलता है और दिल की सफाई व क़ल्बी तहारत हासिल होती है लिहाजा आलम-ए-इंसानियत की बेहतरी के लिए लाजिम है कि ख़ानक़ाहों और औलिया किराम के आस्तानों से जुड़ कर उनके तरीकों पर अमल पैरा होते हुए ज़्यादा से ज्यादा खिदमत-ए-खलक़ को अंजाम दिया जाये क्योंकि यही हमारे लिए बखशिश व नात का सामान बनेगा, मौलाना ने कहा कि कुतुब अवध हजरत शाह मीना शाह वो अजीम हस्ती हैं जिन्हों ने दावत व तब्लीग और वाज व नसीहत से बेशुमार लोगों को राह-ए-हक व सदाकत पर गामजन किया हजरत शाह मीना शाह अपने क़ौल व फ़ेल और अमल में इस्लाफ का अमली पैकर और अखलाक हसना से मुजय्यन एक काबिल तकलीद शख्सियत के मालिक थे 557 सौ साल पहले अपनी तालीमात और अपने पनाह देने वाली अजीम शख्सियत के नाम पर हुकूमत सतह पर किसी यादगार का ना होना। बहुत ही अफसोस की बात है उर्स पाक के मौका पर शिरकत करने वाले मेरे भाईयों इस्लाफ की बारगाह में सच्ची खिराज-ए-अक़ीदत यही होगी कि हम उनके नुकूश जिंदगी को अपने मिशअल-ए-राह बना लें। निजामत के फराइज कारी मुहम्मद इस्लाम कादरी ने अंजाम दिए। इस मौका पर नाअतिया मुशायरा हुआ जिसमें मारूफ शायरों नात-व-मनकबत के अशआर पेश किए।