लखनऊ: कांगे्रस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी एवं कांग्रेस विधान मण्डल दल की नेता आराधना मिश्रा ‘‘मोना’’ ने कहा हे कि शिकागो की शोध संस्था एपिक (एनर्जी पाॅलिसी इंस्टिट्यूट एट द यूनिवर्सिटी आफ शिकागो अमेरिका) ने शोध करके यह बताया है कि वातावरण में व्याप्त प्रदूषण के कारण प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लोगों के जीवन की औसत आयु में 9.5 वर्ष की कमी आई है । इसी तरह गाजियाबाद मे 10.74 वर्ष, गौतमबुद्ध नगर में 10.66 वर्ष, मेरठ में 10.37 वर्ष, फैजाबाद में 9.47 वर्ष, कानपुर में 8.59 वर्ष, वाराणसी में 7.55 वर्ष, प्रयागराज में 7.08 वर्ष सहित प्रदेश के कई महत्वपूर्ण नगरों के निवासियों के जीवन आयु में कमी आई है । इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के निवासियों की 8.6 वर्ष जीवन आयु औसतन घट गयी है । यद्यपि की पिछले कई वर्षो से प्रदूषण तो बढ़ रहा था किन्तु पिछले 4- 5 वर्षो में वायु प्रदूषण में खतरनाक और चैंकाने वाली बढ़ोत्तरी हुई है

नेता द्वय ने कहा है कि वायु प्रदूषण के कुप्रभाव में भारत की 40 प्रतिशत आबादी है, यह अत्यंत चिन्ता का विषय है, इसके लिये दूषित प्रदूषण उगल रहे कारखाने, प्रदूषण फैला रहे तमाम वाहन सहित अन्य तो जिम्मेदार हैं हीं, किन्तु सबसे अधिक जिम्मेदार केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकार है, जिसे बढ़ते हुये प्रदूषण को नियंत्रित करना था किन्तु या तो वह आंख मूंदे रही , या फिर उसके पदस्थ जिम्मेदार अधिकारी भ्रष्टाचार में डूबकर इसमें सहायक बने रहे ।
नेता द्वय ने कहा है कि सच्चाई तो यह है कि शिकागो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और ‘‘एपिक’’ के निदेशक डा. माइकल ग्रीन स्टोन के अनुसार यदि वायु प्रदूषण में 25 प्रतिशत की कमी आ जाय तो औसत आयु 1.3 वर्ष बढ़ जायेगी । किन्तु कुछ वैसा ही है कि आज जब लोग जहरीले प्रदूषण की चपेट में है तो केन्द्र और प्रदेश सरकार बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने की बजाय मस्ती में डूबी है । केन्द्र और प्रदेश सरकार का रवैया उस कहावत को चरितार्थ करता है कि – ‘‘जब रोम जल रहा था, तो नीरो बांसुरी बजा रहा था’’

नेता द्वय ने कहा है कि एक निजी कम्पनी के इस खुलासे के बाद कि निजता के आधार का उल्लंघन करके फेसबुक और वाट्सएप पर जासूसी हो रही है, कम्पनी द्वारा इसकी जानकारी माह मई 2019 में ही केन्द्र सरकार को दे दी गयी थी कि काफी समय से यह जासूसी हो रही है । देश में मार्च, अप्रैल और मई, 2019 में ही लोक सभा के आम चुनाव हुये थे तो सरकार इस खुलासे के बाद भी क्यंूॅ चुप्पी साधे रही ? या फिर जानकारी के बावजूद भी सरकार इस पर रहस्यमय चुप्पी क्यों बनाये रही ? क्या इस प्रकरण का सम्बन्ध देश में हो रहे आम चुनाव से था ? यह साफ्टवेयर इज्राइल में बना था, जिसकी दोस्ती ‘‘मोदी सरकार’’ और भारतीय जनतापार्टी से जगजाहिर है । जो लोग जासूसी के शिकार हुये है, ये वही लोग है जो भारतीय जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी सरकार के विरोधी विचारधारा के है ।

नेता द्वय ने कहा है कि इसके बाद भी सवालों पर केन्द्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मन्त्री रविशंकर प्रसाद की रहस्यमय चुप्पी और संतोषजनक जवाब न दे पाना क्या किसी घटना की तरफ इशारा कर रहा है ? जब सरकार को कम्पनी ने मई 2019 में इसकी जानकारी दे दी थी तो देश की जनता को सरकार ने विश्वास में क्यों नहीं लिया ? ये सब इशारा करता है कि भारतीय जनतापार्टी सरकार चुनाव के दौरान क्या कर रही थी ? या देश की जनता से कुछ छिपा रही थी ? क्या यह भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त निजता के अधिकार का उललंघन नहीं है ? सरकार ने क्या किसी मजबूरी में इस प्रकरण पर कार्यवाही नहीं की ? यह बहुत बड़ा सवाल है जो आम आदमी को सोचने पर विवश कर रहा है ये अमेरिका के चुनाव में ‘‘वाॅटरगेट कांड’’ की तरह प्रतीत होता है

नेता द्वय ने कहा है कि केन्द्र सरकार इसकी जिम्मेदारी ले, और केन्द्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मन्त्री इस्तीफा दें ।