नई दिल्ली: अयोध्या मामले में आने वाले फैसले से पहले दिल्ली में मुस्लिम धर्मगुरू और आरएसएस (RSS) के नेताओं के बीच अहम बैठक हुई. इस दौरान सबसे भाईचारा कायम रखने की अपील की गई. यह बैठक केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के आवास पर हुई थी.

शिया धर्मगुरू सैयद मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, हमें उसका सम्मान करना चाहिए. हम सभी से अपील करेंगे कि शांति को बनाए रखें. बैठक में शामिल हुए अखिल भारतीय सूफी सज्जादनशीं परिषद के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि सभी इस बात पर एकमत थे कि सभी धर्मों के लोगों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए. हम सभी दरगाहों को दिशा-निर्देश देंगे कि वो लोगों से अपील करें कि अफवाहों और झूठी खबरों पर विश्वास न करें. बैठक में हिस्सा लेने वाले अन्य मुस्लिम दानिशवरों ने कहा कि ये वक्त सबके लिए अहम है. सबको अपनी जिम्मेदारी को निभाना होगा.

बता दें कि अयोध्या मामले में फैसला आने से पहले लगातार एकता और भाईचारे को कायम करने की कोशिशों पर ज़ोर दिया जा रहा है. इसी कोशिश में अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी के घर पर मुस्लिम धर्मगुरूओं की और आरएसएस के बड़े नेताओं की बैठक हुई थी. बैठक में आरएसएस की तरफ से कृष्ण गोपाल, रामलाल मौजूद रहे. वहीं सरकार और बीजेपी की नुमाइंदगी मुख्तार अब्बास नक़वी और शाहनवाज हुसैन ने की. बैठक में जमीयत उलेमा ए हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी, प्रोफेसर अख्तरुल वासे, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फ़ारूक़ी, शिया धर्म गुरु कल्बे जव्वाद, दिल्ली शिया जामा मस्जिद के मोहसिन तक़वी, साजिद रशीदी, अतहर दहलवी समेत कई और भी लोग शामिल रहे.

अयोध्या मुद्दे पर हुई इस बातचीत को लेकर अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि अयोध्या मामले को हार जीत के तौर पर नहीं देखना है, बल्कि कोर्ट के फैसले के तौर पर देखना है, ताकि अमन कायम रहे. बता दें कि अयोध्या मामले पर 17 नवंबर से पहले फैसला आ सकता है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. ऐसे में यह फैसला इससे पहले ही सामने आ जाएगा.