नई दिल्ली: पूर्व IAS ऑफिसर के गोपीनाथन ने कहा है कि चुनाव आयुक्त लवासा को ‘सरकार इसलिए निशाना बना रही है’ क्योंकि उन्होंने ‘ईवीएम-वीवीपैट में खामियां ढूंढने में दिलचस्पी दिखाई थी।’ बता दें कि पूर्व आईएएस अफसर खुद भी ईवीएम पर सवाल उठा चुके हैं। सितंबर में उन्होंने आरोप लगाया था कि पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनों की वजह से ईवीएम से छेड़छाड़ का खतरा है।

गोपीनाथन ने इस साल अगस्त में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वह दमन और दीव, दादर और नगर हवेली केंद्र शासित प्रदेशों के पावर डिपार्टमेंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इस्तीफा देने के बाद गोपीनाथन ने दावा किया था कि वह कश्मीर में ‘अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी’ के खिलाफ अपने विचार रखना चाहते थे। हालांकि, अपने इस्तीफे में उन्होंने कश्मीर का कोई जिक्र नहीं किया था। गोपीनाथन उस वक्त भी सुर्खियों में आ गए थे, जब वह अपनी पहचान छिपाकर 2018 में केरल में आई बाढ़ के बाद राहत कार्यों में शामिल हुए थे।

द इंडियन एक्सप्रेस ने मंगलवार को खबर प्रकाशित की थी कि विद्युत मंत्रालय ने अपने सभी पीएसयू के चीफ विजिलेंस ऑफिसरों को यह पता लगाने का आदेश दिया था कि कहीं लवासा के विद्युत मंत्रालय में 2009 से लेकर 2013 के कार्यकाल के दौरान कुछ कंपनियों को फायदा तो नहीं पहुंचाया गया। मंत्रालय के लेटर में कुछ कंपनियों का भी जिक्र था, जिनमें लवासा की पत्नी नोवल ने बतौर डायरेक्टर सेवाएं दी हैं। बता दें कि इससे पहले, लवासा की पत्नी, बेटे और बहन को आय से अधिक संपत्ति और इनकम घोषित न करने के आरोपों में नोटिस भेजा चुका है।

गोपीनाथन ने ट्वीट करके लिखा, ‘एक चुनाव आयुक्त जिसने ईवीएम-वीवीपैट की प्रक्रिया में खामियां ढूंढने में दिचलस्पी दिखाई, उसे सरकार ने निशाना बनाया। हम अभी भी चुप हैं और उन्हें उनकी छवि खराब करने और बदनाम करने दे रहे हैं।’ पूर्व आईएएस ने इस बात पर भी चिंता जताई कि क्या लवासा अब मुख्य चुनाव आयुक्त बन पाएंगे?

बता दें कि लवासा वही अफसर हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के उल्लंघन को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को ईसी की ओर से दी गई क्लीनिट का विरोध किया था। लवासा मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के बाद दूसरे सबसे सीनियर चुनाव आयुक्त हैं।