मुंबई: महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए बीजेपी-शिवसेना में जारी गतिरोध के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मुंबई पहुंचे। उन्होंने इस गतिरोध को दूर करने के लिए बीजेपी और शिवसेना के बीच मध्यस्थता करने की भी पेशकश की। उन्होंने कहा, 'विधायकों की खरीद फरोख्त का कोई सवाल ही नहीं है। अगर बीजेपी और शिवसेना के बीच मध्यस्थता की जरूरत पड़ती है तो वो मैं कर सकता है।' हालांकि इस दौरान गडकरी ने ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री वाली बात से इनकार करते हुए कहा कि जितनी मुझे जानकारी है ऐसा कोई वादा नहीं किया गया था।

इससे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत का नाम महाराष्ट्र में सरकार गठन संबंधी कदमों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य में सरकार बनाने पर जल्द फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि चूंकि भाजपा ने शिवसेना से ज्यादा सीटें जीती हैं, इसलिये मुख्यमंत्री उन्हीं की पार्टी का होगा।

महाराष्ट्र में 2014 में गठित हुई विधानसभा का शनिवार को आखिरी दिन है। लेकिन, अब तक नई सरकार के गठन को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो सकी है। शिवसेना भले ही भाजपा को धमकी दे रही है कि वह दूसरे विकल्पों पर विचार कर सकती है, लेकिन उसने अब तक किसी भी दिशा में कोई कदम नहीं बढ़ाया है। इसके अलावा भाजपा भी अब तक सरकार गठन को लेकर पूरी तरह सक्रिय नहीं दिखी है। एक तरह से प्रदेश की सभी 4 प्रमुख पार्टियां भाजपा, शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा सरकार गठन पर ठहरी हुई दिखाई दे रही हैं।

गुरुवार को भाजपा ने राज्यपाल से मुलाकात की और फूट के डर से शिवसेना ने अपने विधायकों को होटल में ठहराने का इंतजाम किया है। इस बीच सूत्रों के मुताबिक नितिन गडकरी शुक्रवार को मातोश्री में उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अब गेंद पूरी तरह से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के पाले में है कि वह सरकार गठन के लिए भाजपा से बात करते हैं या फिर राकांपा-कांग्रेस को साधते हैं।