वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, साल 2000 से 2016 के बीच दिमागी बीमारी डिमेंशिया के कारण होने वाली मौतों की संख्या दोगुनी हुई है। यह बीमारी दुनिया में होने वाले कुल मौतों का 5वां सबसे प्रमुख कारण बन गई है। बेशक इस बीमारी के कई इलाज हैं लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि एक खास तरह का खानपान भूलने से संबंधित बीमारियों अल्जाइमर और डिमेंशिया के बढ़ने की रोकथाम में सहायक हो सकता है।

एक शोध में यह जानकारी सामने आई है। यह शोध अल्जाइमर्स एडं डिमेंशिया जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें एक विशेष तरह के खानपान या 'माइंड डाइट' अथवा मेडिटेरियन-डीएएसएच इंटरवेंशन फॉर न्यूरोडिजेनरेटिव डाइट के पड़ सकने वाले प्रभावों को अध्ययन किया गया है।

इस माइंड डाइट में 15 से अधिक खाद्य वस्तुएं शामिल की गई हैं और इनमें से हरी पत्तेदार सब्जियों, अनाज, जैतून का तेल और कम मात्रा में लाल मांस को रखा गया है। ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि यह माना जाता रहा है कि मेडिटेरियन डाइट में दिल की सेहत और अन्य बीमारियों को ठीक करने वाले गुण होते हैं। इस शोध में 60 साल से अधिक आयु वाले 1220 लोगों को शामिल किया गया और इन पर 12 साल शोध किया गया।

मनोभ्रंश या डिमेंशिया एक ऐसी मानसिक बीमारी है, जो लंबे समय के लिए मेमोरी लॉस का कारण बन सकती है। यह बीमारी आमतौर पर बुजुर्गों में देखने को मिलती है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो मानसिक कामकाज को प्रभावित करती है। इतना ही नहीं, इसमें इंसान के सोचने-समझने की क्षमता भी धीरे-धीरे कम होने लगती है। इस बीमारी का एक मुख्य प्रकार अल्जाइमर रोग है।

इस बीमारी में मरीज को सबसे पहले व्यवहार से संबंधी परेशानियां जैसे चिड़चिड़ापन, लोगों से दुर्व्यवहार और रोजाना किये जाने वाली कामों में भी परेशानियां आना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। मेमोरी लॉस इसका सबसे आखिरी लक्षण है।

इनके अलावा जरूरी चीजें भूल जाना, छोटी-छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना, रोजाना के काम करने में दिक्कत महसूस करना, गलत किस्म के कपड़े पहनना, कपड़े उलटे पहनना, तारीख भूल जाना, किस घर में हैं, किस शहर में हैं, किस देश में भूल जाना, चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है, नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत, भटक जाना, व्यक्तित्व में बदलाव, फैसला नहीं ले पाना, भावनाओं पर नियंत्रित नहीं कर पाना और अचानक व्यवहार का बदलना भी इसके लक्षण हैं।

डिमेंशिया साल 2000 से 2016 के बीच डिमेंशिया के कारण होने वाली मौतों की संख्या दोगुनी हो गई, जिससे 2016 में दुनिया में होने वाले कुल मौतों का 5वां सबसे प्रमुख कारण बन गया। अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम कारण है, लेकिन केवल एक ये ही कारण नहीं है। इसे मनोभ्रंश भी कहा जाता है। डिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है बल्कि ये एक लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं।

अल्जाइमर एंड रिलेटेड डिसऑर्डर सोसाइटी ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अनुमानित 4.1 मिलियन लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं और इस संख्या के साथ भारत दूसरे स्थान पर है। ऐसा अनुमान है कि साल 2035 इसके मरीजों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। सिर्फ महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में 2026 तक डिमेंशिया के मरीजों की संख्या 5,00,000 से अधिक हो जाएगी।