नई दिल्ली: 16 वर्षीय ग्रेटा थनबर्ग को मशहूर पत्रिका 'टाइम' ने अपने कवर पेज पर जगह दी है। टाइम ने उन्हें ' TIME's पर्सन ऑफ दी ईयर चुना गया है। सितंबर माह में ग्रेटा ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में जलवायु संकट को लेकर अपने तीखे भाषण से वैश्विक नेताओं समेत दुनियाभर का ध्यान खींचा।

ग्रेटा को 'पर्सन ऑफ द ईयर'' चुने जाने पर मैगजीन ने लिखा, 'साल भर के अंदर ही स्टॉकहोम की 16 साल की लड़की ने अपने देश की संसद के बाहर प्रदर्शन किया और फिर विश्वभर में युवाओं के आंदोलन का नेतृत्व किया।'

जलवायु संकट को लेकर ग्रेटा की मुहिम करीब सालभर पहले शुरू हुई। ग्रेटा से प्ररित होकर दूसरे छात्र अपने-अपने समुदायों में इसी तरह के आंदोलनों से जुड़ गए। उन्होंने मिलकर 'फ्राइडेज फॉर फ्यूचर' नाम के बैनर तले स्कूल क्लाइमेट स्ट्राइक आंदोलन चलाया।

ग्रेटा से प्रेरित छात्र जलवायु संकट को लेकर दुनिया के किसी न किसी हिस्से में हर हफ्ते प्रदर्शन करते हैं। 2019 में कम से कम दो ऐसे बड़े आंदोलन हुए जिनमें कई शहरों के लाखों लोगों ने हिस्सा लिया। थनबर्ग सार्वजनिक तौर पर, नेताओं के बीच या सभाओं में अपने मुद्दे पर स्पष्ट बोलने के लिए जानी जाती हैं जिसमें वह जलवायु संकट को लेकर तत्काल उपाय करने का आह्वान करती

अग्रेजी अखबार द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रेटा थनबर्ग लाखों लोगों में से किसी एक को होने वाली दुर्लभ बीमारी एस्पर्जर्स सिंड्रोम से ग्रसित हैं। सरल शब्दों में इसे चयनात्मक गूंगापन कहते हैं लेकिन सभाओं में जब अपने विषय पर बोलती हैं तो ऐसा मालूम नहीं होता है।

ग्रेटा के पिता स्वांते थनबर्ग पेशे से कलाकार हैं और मां मलेना अर्नमैन ओपेरा गायक। ग्रेटा की बातों से प्रभावित होकर मां ने हवाई यात्राएं करना बंद कर दिया और पिता वीगन (वे लोग जो केवल शाक-सब्जियों को भोजन में शामिल करते हैं) हो गए हैं।