वाशिंगटन: अमेरिका की सांसद डेबी डिंगेल ने नवगठित केन्द्र शासित क्षेत्र जम्मू कश्मीर में नज़रबंद लोगों को छोड़ने और संचार सेवाओं पर लगी पाबंदियों को हटाने की अपील करने वाले प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि कश्मीर के हालात मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं।

भारतीय मूल की अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने प्रतिनिधिसभा में इस संबंध में प्रस्ताव पिछले साल दिसम्बर के महीने में पेश किया गया था। इसे कुल 36 लोगों का समर्थन हासिल है। इनमें से दो रिपब्लिकन और 34 विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य हैं। प्रमिला जयपाल ने भारत से वहां लगाए गए संचार प्रतिबंधों को जल्द से जल्द हटाने और सभी निवासियों की धार्मिक स्वतंत्रता संरक्षित रखे जाने की अपील की थी।

डिंगेल ने सोमवार रात ट्वीट किया कि कश्मीर की मौजूदा स्थिति मानवाधिकार का उल्लंघन है। उनका कहना था कि अन्यायपूर्ण तरीके से हजारों लोगों को हिरासत में लिया गया है और लाखों लोगों की पहुंच इंटरनेट और टेलीफ़ोन तक नहीं है।

उन्होंने कहा कि इसलिए मैंने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं ताकि अमेरिका विश्व को बता सके कि हम इन उल्लंघनों को होता नहीं देख सकते।
यह प्रस्ताव अभी आवश्यक कार्यवाही के लिए ‘हाउस फॉरेन अफ़ेयर्स कमेटी’ के पास है।

घुरतालाब है कि मोदी सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने का फैसला किया था। फैसले के तहत जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र की अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायिका वाला केन्द्र शासित क्षेत्र होगा।

इस फ़ैसले की घोषणा के कुछ घंटे पहले ही क़ानून और व्यवस्था बनाए रखने के हवाला देकर जम्मू कश्मीर प्रशासन ने संचार की सभी लाइनों, लैंडलाइन टेलीफ़ोन सेवा, मोबाइल फ़ोन सेवा और इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया था।