सोशल मीडिया और न्यूज पोर्टलों पर रोक बरकरार

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जनता को राहत देते हुए घाटी में सभी लोकल प्रीपेड मोबाइल सेवाओं पर लगी रोक हटा दी है। सूबे में प्रीपेड कॉल, एसएमएस और कुछ इलाकों में 2G इंटरनेट सेवाएं भी शुरू हो गई हैं। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने घाटी में आवश्यक सेवाओं के लिए ब्रॉडबैंड सेवाओं की बहाली की घोषणा पहले ही कर दी थी। लेकिन कश्मीरवासी अभी सिर्फ 153 वेबसाइटों का ही लाभ उठा पाएंगे। जबकि सोशल मीडिया और समाचार वेबसाइटों पर रोक बरकरार है। सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने बताया कि 153 वेबसाइट की सूची (वाइटलिस्ट) जारी की गई है, जिनका उपभोक्ता लाभ उठा सकेंगे। सभी मोबाइल कंपनियों को इसके लिए जरूरी हिदायत दे दी गई है।

153 वेबसाइटों की श्वेतसूची (वाइटलिस्ट) में जीमेल और आउटलुक समेत चार ईमेल सेवाएं, आरबीआई, जेएंडके बैंक, पेयपल और वेस्टर्न यूनियन समेत 15 बैंकिंग वेबसाइट, तीन रोजगार वेबसाइट, 38 शैक्षिक वेबसाइट जिनमें पांच जम्मू और कश्मीर के विश्वविद्यालय और विकिपीडिया की वेबसाइटें भी शामिल हैं।

अतुल्य भारत की वेबसाइट और अमरनाथ श्राइन बोर्ड की साइट सूची में 20 यात्रा वेबसाइटों में से हैं। जहां ब्रॉडबैंड सेवाएं चालू हैं वहां इनकम टैक्स ई-फाइलिंग, पासपोर्ट और यूआईडीएआई वेबसाइटें भी उपलब्ध होंगी। एंटरटेनमेंट वेबसाइट जैसे नेटफ्लिक्स, अमेज़ॅन प्राइम और हॉटस्टार वाइटलिस्ट पर 11 डोमेन में से हैं।

जम्मू कश्मीर में अब प्रीपेड सिम कार्ड्स पर वॉयस और एसएमएस सेवा बहाल कर दी गई है। साथ ही 10 जिलों में पोस्टपेड पर 2जी इंटरनेट सेवा को भी बहाल कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद पिछले साल 4 अगस्त को प्रीपेड मोबाइल फोन पर सेवाएं रोक दी गई थीं। प्रमुख सचिव रोहित कंसल ने बताया कि समीक्षा के बाद प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर में सभी स्थानीय प्रीपेड सिम कार्ड्स पर वॉयस और एसएमएस सेवा बहाल करने का आदेश दिया है। यह आदेश शनिवार से लागू कर दिया गया है। इसके साथ ही जम्मू के सभी 10 जिलों में पोस्टपेड पर 2 जी इंटरनेट सेवा जम्मू के सभी 10 जिलों और कुपवाड़ा, कश्मीर संभाग के बांदीपोरा में बहाल कर दी गई है। हालांकि, अभी बडगाम, गंडरबल, बारामुला, श्रीनगर, कुलगाम, अनंतनाग, शोपियां और पुलवामा में इंटरनेट सेवा बंद रहेगी।

जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के बाद से घाटी में मोबाइल इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं को निलंबित कर दिया गया। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बैन और नेताओं की हिरासत वाली याचिका पर सुनवाई की थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि इंटरनेट 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' के तहत आता है, यह बोलने की आजादी का जरिया भी है। इंटरनेट बंद करना न्यायिक समीक्षा के दायरे में आता है। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में सभी पाबंदियों पर एक हफ्ते के भीतर समीक्षा करे और फिलहाल जहां जरूरत हो वहां इंटरनेट मुहैया कराए।