उत्तर प्रदेश में वर्ष 2018 में हर दिन औसतन 19 लड़कियों का अपहरण किया गया। हाल ही में जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट क्राइम इन इंडिया -2018 में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश वर्ष 2018 मे देश मे बच्चो के सबसे ज्यादा अपहरण दर्ज करने वाले प्रदेशों मे दूसरे पायदान पर रहा। प्रदेश मे कुल 8721 बच्चो का अपहरण दर्ज किया गया जिसमे से 80.67 प्रतिशत पीड़ित लड़कियां थीं। बच्चो के अधिकारों को लेकर पिछले 40 वर्षो से काम करने वाली संस्था चाइल्ड राइट्स एंड यू द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चला है कि नाबालिग लड़कियों के अपहरण के मामलो मे 5 साल मे (2014-2018) 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। एन सी आर बी 2018 के अनुसार वर्ष 2014 में अपहरण की गयी नाबालिग लड़कियों की संख्या 5415 थी जो वर्ष 2018 मे बढ़कर 7036 हो गई। सोहा मोइत्रा, क्षेत्रीय निदेशक, (क्राई) ने आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए कहा, यह चैंकाने वाली बात है कि यूपी में वर्ष 2018 में अपहरण का शिकार हुई 89 प्रतिशत नाबालिग लड़कियों की आयु 12 से 18 वर्ष के बीच थी। आमतौर पर, इस तरह के रुझानों के प्रति एक सामान्य प्रतिक्रिया होती है की लड़की भाग गयी होगी। लेकिन हमें इस धारणा को तोड़ने । कई बार इस आयु वर्ग की लड़कियों को बाल श्रम, घरेलू व्यापार और यहां तक कि यौन व्यापार में धकेल दिया जाता है।“यूपी में एक वर्ष में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (क्राई) अधिनियम के तहत मामलों में 10.3 प्रतिशत की वृद्धिएन सी आर बी के आंकड़ों में एक और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है। एक साल में पोक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में 10.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2017 में यूपी में पोक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की संख्या 4895 थी जो वर्ष 2018 में बढ़कर 5401 हो गई। यूपी देश मे पोक्सो अधिनियम के तहत दर्ज किए गए सबसे अधिक मामलो वाले प्रदेशों मे दूसरे पायदान पर रहा। सबसे ज्यादा 6233 मामलों के साथ महाराष्ट्र इस सूची में सबसे ऊपर है। यूपी में 2018 में नाबालिग से रेप (सेक्शन 376 आईपीसी) के दूसरे सबसे ज्यादा मामले दर्जउत्तर प्रदेश में नाबालिग से बलात्कार ( पोक्सोे अधिनियम के धारा 4 और 6 को छोड़कर सेक्शन 376 -आई पी सी के अंतर्गत दर्ज किए गए मामले) दर्ज किए गए। वर्ष 2018 में यूपी में 1353 नाबालिगों के बलात्कार के मामले दर्ज किए गए। राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष पर उत्तर प्रदेश में बालिकाओं के वर्तमान परिदृश्य पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए, सोहा मोइत्रा ने कहा कि चाहे वो सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा या पोषण की बात हो बच्चियों की स्थिति चिंतनीय है। हालांकि राज्य सरकार द्वारा बाल संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए कुछ बड़े प्रयास किए गए हैं, लेकिन जमीन पर अपेक्षित परिणाम देखने के लिए और अधिक प्रयास करने कि आवश्यकता है। शारीरिक रूप से और साथ ही मानसिक रूप से उन्हें सशक्त बनाने के लिए बच्चियों के आत्मविश्वास का निर्माण करने की आवश्यकता है। क्राई अपने विभिन्न कार्यक्रमों कि मदद से किशोरियों को एक साथ लाकर उन्हें एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहाँ वे खुलकर अपनी चिंताओं को साझा कर सकें और उम्र के उपयुक्त विमर्श में भाग ले सकें। हमारी 40 वर्षीय गैर-लाभकारी संगठन का मानना है कि खेल इन बच्चियों के सपनों को पंख देने के लिए महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक है।