लखनऊ। नवम्बर 2017 के बाद से ही बैंकिंग सेक्टर में कार्यरत 10 लाख से भी अधिक बैंककर्मी अपनी देय वेतनवृद्धि के लिये निरन्तर प्रयासरत हैं। परन्तु भारत सरकार एवं भारतीय बैंक संघ के अडियल रवैये के कारण कोई परिणाम न निकल सका। हमारा पिछला वेतनवृद्धि समझौता 15 प्रतिशत वृद्धि का हुआ था, किन्तु इस बार 2 प्रतिशत वृद्धि के प्रस्ताव से शुरुआत करके आई.बी.ए. ने तीन वर्ष बाद भी समुचित वृद्धि का प्रस्ताव नही दिया है जबकि हमें 20 प्रतिशत से कम वेतनवृद्धि समझौता स्वीकार्य नहीं हैं। हमारे 12 सूत्रीय मांगपत्र मे इसके अतिरिक्त 5 दिवसीय बैंकिंग, नवीन पेंशन योजना के स्थान पुरानी योजना लागू करना, पेंशन पुनरीक्षण एवं पारिवारिक पेंशन मे समुचित वृद्धि, एवं परिचालन लाभ के आधार पर कल्याण निधि मे आबंटन आदि प्रमुख माँगें सम्मिलित हैं। यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन्स के बैनर तले सभी सरकारी बैंककर्मियों ने लंबे एवं निर्णायक संघर्ष का ऐलान कर दिया है। यह जानकारी आज भारतीय स्टेट बैंक, मुख्य शाखा में आयोजित एक प्रेसवार्ता मे ंनेशनल कन्फडरेशन आफ बैंक एम्पलाईज (एन.सी.बी.ई.) उ0प्र0 के महामंत्री एवं राष्ट्रीय संयुक्त सचिव कामरेड के.के. सिंह ने दी।

श्री सिंह ने बताया एक ओर सरकार की जन धन योजना, बीमा योजनाओं, आधार कार्ड आदि का बोझ बैंक कर्मचारियो ंपर बढ़ा ही है। सरकारी विभागो ंके कार्यों को भी बैंकों द्वारा कराया जा रहा है। बड़े कर्जदारों के ऋणों की वसूली में अनुचित सरकारी दबाव के कारण अनेकों दिक्कतें आती हैं। दूसरी ओर बैंककर्मियों द्वारा समुचित वेतनवृद्धि के लिए पिछले तीन वर्षों से वार्ता करने के बावजूद आईबीए तथा सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होने आगे बताया कि यदि दो दिन की हड़ताल से हमारी सारी मांगे नहीं पूरी हुई तो हम 11 से 13 मार्च तक तीन दिनों की हड़ताल करेंगे और फिर भी हमारी सुनवाई नहीं हुई तो 1 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जायेंगे।

काम0 दिलीप चैहान (सचिव, आॅयबाक,उ.प्र.) ने कहा-‘भारत सरकार के वित मंत्री के द्वारा कहा जाता है कि भारत में न्यूनतम आय सिद्धान्त लागू है परन्तु इसे अभी भी बैंकों मे नहीं लागू किया गया है। हमारे मांग पत्र में न्यूनतम वेतन, एनपीए वसूली तथा स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम में बढ़ोत्तरी आदि मुद्दे भी शामिल हैं। उन्होने मांग की कि-’सभी बड़े बकायेदारों के नाम सार्वजनिक किये जाये, जिससे कोई भी बैंक उन्हे ंनया ऋण न दे सके।’

ए.आई.बी.ओ.सी. के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष काम0 पवन कुमार ने बताया नयी शाखाओ ंके लगातार खोले जाने तथा वरिष्ठ कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति होने के बावजूद पर्याप्त मात्रा मे ंनये कर्मचारियों की भर्ती न होने से प्रति कर्मचारी कार्य का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। जिससे ग्राहक सेवा की गुणवत्ता प्रभावित होना स्वाभाविक है।

यू.एफ.बी.यू. के लखनऊ नगर इकाई के संयोजक काम. अनिल श्रीवास्तव ने बताया आज स्टेट बैंक मुख्य शाखा के बाहर सैकड़ो बैंककर्मियों ने आई.बी.ए. तथा भारत सरकार के विरोध में जोरदार प्रदर्शन कर अपनी आवाज बुलन्द की। प्रदर्शन को अखिलेश मोहन, दीपू बाजपेई, आर.एन.शुक्ला, एस.के.संगतानी, राजेश शुक्ला, अरूण श्रीवास्तव आदि वरिष्ठ नेताओं ने सम्बोधित किया। बैंक हड़ताल में 31 जनवरी को स्टेट बैंक प्रधान कार्यालय में तथा 1 फरवरी को इलाहाबाद बैंक, हजरतगजं मे दिन 11.30 बजे से सभी सरकारी बैंककर्मियों का विशाल प्रदर्शन तथा सभा का आयोजन किया गया है।

यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन्स के मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी ने बताया कि हड़ताल में लखनऊ के सरकारी बैंकों की 905 शाखाओं के लगभग दस हजार बैंककर्मी शामिल होगंे। लखनऊ के 990 एटीएम में से अनेक खराब व बन्द पडे है ऐसे में आम जनता पहले से ही धन निकासी की व्यवस्था कर लें। एक दिन की हड़ताल से लखनऊ मे ंलगभग 2500 करोड़ तथा प्रदेश में तीस हजार करोड़ रुपये की क्लीयरिंग बाधित रहेगी