लखनऊ: एक महिला को अगर अपना आदर्श ढूंढना हो तो फातिमा ज़हरा के जीवन को देखें। जीवन के हर पहलू को बीबी सय्यदा की ज़िन्दगी में नज़र आता है , बीबी सय्यदा अगर एक तरफ पड़ोसी के अधिकारों के बारे में बात की है तो दूसरी ओर अपने अधिकारों के बारे में बताया कि अन्याय व अत्याचार खिलाफ ख़ामोशी अत्याचारी के इरादे को मजबूत करती है|

यह विचार मौलाना मिर्ज़ा नुसरत अली ने सुल्तानुल मदारिस में अज़ाए फ़ातिमा को सम्बोधित करते हुए रखे, उन्होंने कहा कि जनाबे फ़ातिमा ज़ेहरा केवल मुस्लिम महिलाओं के लिए नहीं बल्कि दुनिया भर की महिलाओं के लिए आइडियल है

मौलाना मिर्ज़ा नुसरत अली सुल्तान अल-मदारिस में मजलिस-ए-आज़म फ़ातिमा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि श्री फातिमा ज़हरा मुस्लिम महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया की हर महिला के लिए एक आदर्श हैं।

मौलाना ने कहा कि आज जो महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लड़ रही हैं और अपने जीवन की समस्याओं के बारे में चिंतित हैं यदि वो जनाबे फातिमा ज़हरा को अपना आदर्श बना लें तो उन समस्याओं का समाधान मिल जायेगा । केवल यही नहीं एक औरत अपने बात तो करती है मगर देखने को मिलता है कि यही औरत दूसरी औरतों के अधिकारों का हनन करती है चाहे वह किसी भी रूप में हो| जनाबे फ़ातिमा ज़हरा एक दिन अपनी नौकरानी से काम लेतीं तो दूसरे दिन उसे आराम देकर खुद काम करतीं । नौकरानी को यह एहसास नहीं होने दिया कि वह नौकरानी है | यह आदर्श जीवन जनाबे फ़ातिमा ज़ेहरा से ही संभव है | एक अच्छी माँ एक अच्छी बेटी और एक अच्छी पत्नी है सबकुछ अगर एक जगह मिल सकता है तो वह केवल जनाबे फ़ातिमा ज़ेहरा जीवन से मिल सकता है | अंत में मौलाना ने बीबी सय्यदा पर हुए अत्याचार को वर्णित किया तो लोग तड़प कर रोने लगे| मजलिस में सुल्तानुल मदारिस के शिक्षकों और विद्यार्थियों साथ धर्मगुरों और शहर प्रतिष्ठित लोगों ने शिरकत की।