तेहरान: इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार को समाज के विभिन्न वर्गों से संबंध रखने वाले लोगों की एक बड़ी संख्या को संबोधित करते हुए बल दिया कि सेन्चुरी डील योजना, ट्रम्प के मरने से पहले ही मर जाएगी। उन्होंने कहा कि इस योजना का मुक़ाबला करने का मार्ग, फ़िलिस्तीनी राष्ट्र और गुटों के प्रतिरोध और साहसिक संघर्ष तथा फ़िलिस्तीनियों के लिए इस्लामी जगत का समर्थन है।

आयतुल्ला अली ख़ामेनेई ने ट्रम्प द्वारा शर्मनाक सेन्चुरी डील योजना का अनावरण किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि अमरीकी अधिकारी इसी में ख़ुश हैं कि इस योजना को बड़ा नाम देकर वे फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के विरुद्ध इसे सफल बना देंगे जबकि उनकी यह कार्यवाही मूर्खतापूर्ण और विश्वासघाती है और इस कार्यवाही के आरंभ से ही अमरीकियों को इसका नुक़सान भुगतना पड़ेगा। सेन्चुरी डील योजना को अमरीकियों ने ज़ायोनियों के साथ ऐसी चीज़ों पर सौदा किया है जिन पर ज़ायोनियों का कोई हक़ ही नहीं है।

ईरान के सबसे बड़े धर्मगुरु ने कहा कि सेन्चुरी डील योजना के अनावरण के अवसर पर कुछ ग़द्दार अरब नेताओं ने कि जिनकी स्वयं अपने राष्ट्रों के बीच कोई इज़्ज़त और हैसियत नहीं है, तालियां बजाईं और इस योजना का स्वागत किया, इसकी कोई अहमियत नहीं है। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीन को किनारे लगाने पर आधारित साम्राज्यवादियों की नीतियों विरुद्ध उनकी इस कार्यवाही से फ़िलिस्तीन का मुद्दा पहले से भी अधिक जीवित और अमर हो गया है और आज पूरी दुनिया में फ़िलिस्तीन की मज़लूमियत और फ़िलिस्तीनियों का नाम लिया जा रहा है।

अली ख़ामेनेई ने हथियारों और पैसों द्वारा सेन्चुरी डील को लागू करने के लिए साम्राज्यवादी शक्तियों के प्रयासों की ओर संकेत करते हुए कहा कि मुझे विश्वास है कि फ़िलिस्तीन की सशस्त्र संस्थाएं और गुट उठ खड़े होंगे और प्रतिरोध का रास्ता आगे बढ़ाएंगे और ईरान की इस्लामी व्यवस्था भी फ़िलिस्तीनी गुटों की मदद को अपना दायित्व समझती है और यह समर्थन इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था और ईरानी जनता की मांग है।