नई दिल्ली: देश की एकता और अखंडता का सम्मान करने को सबसे महत्वपूर्ण मौलिक कर्तव्य बताते हुए पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सोमवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून पर बहुत प्रदर्शन हुए हैं और मामला जब पहले ही उच्चतम न्यायालय में है तो लोगों को ‘‘दो समानांतर मंच’’ नहीं पैदा करने चाहिए।

गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (जीएनएलयू) में छात्रों को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून पर हर किसी को अपना नजरिया व्यक्त करने का अधिकार है लेकिन समाधान संवैधानिक दायरे में ही होना चाहिए। अपने गृह राज्य असम में सीएए को लेकर प्रदर्शनों का हवाला देते हुए पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कुछ ऐसे तत्व हैं जो देश की अखंडता को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, लेकिन छात्र समुदाय ने कुछ दिन में ही वहां हिंसक प्रदर्शन बंद कर दिया जिससे तुरंत ही कानून और व्यवस्था की स्थिति सुधर गयी।

उन्होंने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण मौलिक कर्तव्य देश की एकता और अखंडता का सम्मान करना है। इसमें समस्याएं हैं, और उन्हें प्रचारित क्यों किया जाता है। नागरिकता संशोधन कानून…यह एक मुद्दा है। आपका भी इस पर दृष्टिकोण हो सकता है, मेरा भी इस पर अपना नजरिया है, और हो सकता है कि हमारे विचार मेल नहीं खाए।

मेरे पास अपना दृष्टिकोण रखने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, आपके पास भी अपना विचार रखने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। लेकिन, समाधान संवैधानिक दायरे में ही होना चाहिए।’’ पूर्व प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कहा कि (सीएए को चुनौती देने का) मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है।

उन्होंने कहा, ‘‘अपने न्यायाधीशों पर विश्वास रखिए। वे संविधान के मुताबिक फैसला करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रदर्शन हुए हैं, दृष्टिकोण व्यक्त किए जा रहे हैं। आपके पास दो समानांतर मंच नहीं हो सकते, उच्चतम न्यायालय और कुछ अन्य।’’