लखनऊ: मौजूदा समय में यूनानी दवाओं को लेकर पूरी दुनिया में रिसर्च चल रही है।
यूनानी दवाओं के इस्तेमाल से लेकर तरीके ईलाज तक आम लोगों में लोकप्रिय
हो रही है। एक तरफ दवाओं की पैकिंग के साथ सस्ती और हर जगह उपलब्धता तो
दूसरी तरफ ईलाज बित तदबीर के साथ गंभीर बीमारियों का इलाज हो रहा है। ऐसे
में यूनानी चिकित्सकों के सामने आम लोगों तक पहुंच कर सस्ता इलाज करने की
चुनौती है जिसे यूनानी चिकित्सक बखूबी निभा रहे हैं। ये बातें मुख्य
वक्ता हयात यूनानी मेडिकल एवं हास्पिटल के प्रधानाचार्य डॉ मोहम्मद अनस
ने कही।

बुधवार को बीयूएमएस डॉक्टर्स एसोसिएशन (बीडीए) उत्तर प्रदेश द्वारा लखनऊ
कार्यालय में वर्ल्ड यूनानी डे पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस
कार्यक्रम की अध्यक्षता एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अब्दुल हलीम ने की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ एम एफ खान
उपस्थित रहे।

मुख्य वक्ता हयात यूनानी मेडिकल एवं हास्पिटल के प्रधानाचार्य डॉ मोहम्मद
अनस ने यूनानी पद्धति पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि मौजूदा
समय में यूनानी पद्धति को लेकर आम लोगों में तमाम तरह की जिज्ञासाएँ हैं।
यूनानी पद्धति में आम लोगों की रूचि काफी बढ़ी है। आम लोग इस पद्धति के
बारे में न सिर्फ जानकारी हासिल कर रहे हैं बल्कि इलाज के तरीके भी अपना
रहे हैं। उन्होंने कहा कि इलाज बित तदबीर के माध्यम से कई बीमारियों का
कुशल इलाज किया जा रहा है। डॉ अनस ने कहा कि हिजामा, कपिंग और लीच थेरेपी
जैसे तमाम तरह की ठेरेपी हैं, जो इलाज बित तदबीर के रूप में आम लोगों में
काफी मशहूर हो रहे हैं। साथ ही साथ गंभीर बीमारियों में काफी फायदा हो
रहा है।

इस मौक़े पर बोलते हुए डॉ शहज़ाद आलम ने कहा कि पहले यूनानी चिकित्सा में
इलाज काफी महंगा होता था। पर अब ये इलाज काफी सस्ता हो गया है। उन्होंने
कहा कि यूनानी चिकित्सकों को गरीब और ज़रूरतमंद लोगों तक जाना चाहिए और
जितना हो सके इलाज सस्ता करना चाहिए। उन्होने कहा कि जब तक सस्ता इलाज
नहीं होगा यह पद्धति जन-जन तक नहीं पहुँचेगी। इसके लिए सरकारी प्रयास के
साथ संस्थाओं को आगे आना होगा। डॉ शहज़ाद ने कहा कि बीडीए इस मामले में
काफी बेहतर काम कर रहा है।

इस मौके पर बोलते हुए डॉ आमिर जमाल ने कहा कि अब यूपी में सीएमई के
माध्यम से यूनानी के नए रिसर्च की जानकारी चिकित्सकों को मिल रही है।
उन्होंने कहा कि बीडीए इस काम को अच्छे तरीके से कर रहा है और आम लोगों
के बीच इस पद्धति को ले जाने में बेहतर रोल अदा कर रहा है। उन्होंने कहा
कि सरकार ने भी कई तरह के प्रयास किए हैं लेकिन अभी और प्रयास होन है।
मुख्य अतिथि डॉ एम एफ खान ने कहा कि वर्ल्ड यूनानी डे पर इतनी भारी
संख्या में चिकित्सकों की मौजूदगी इस बात का गवाह है कि यूनानी को लेकर
चिकित्सकों में रूचि बढ़ी है और मौजूदा दौर में वो नई नई खोज में लगे हैं।
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकारी स्तर पर लगातार प्रयास किये जा रहे हैं तो
दूसरी तरफ तमाम संस्थाएं और चिकित्सक भी यूनानी के विकास में लगे हुए
हैं। उन्होने कहा कि बीडीए को इस मामले में और आगे आना होगा। उन्होंने
बीडीए के सदस्यों को कई बेहतर सुझाव भी दिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बीयूएमएस डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ
अब्दुल हलीम ने सभी का शुक्रिया करते हुए कहा कि बीयूएमएस डॉक्टर्स
एसोसिएशन का गठन इस बात के लिए किया गया था कि एक तरफ यूनानी पद्धति का
विकास हो दूसरी तरफ यूनानी चिकित्सा पद्धति से जुड़े तमाम लोगों को एक
प्लेटफॉर्म मिल सके। आज इस बात की खुशी हो रही है कि तमाम बड़े चिकित्सक
इस एसोसिएशन से जुड़े हैं और एसोसिएशन अपने रास्ते पर तेज़ गति से आगे बढ़
रही है। उन्होने एसोसिएशन की टीम को बधाई देते हुए कहा कि पिछले दो साल
में एसोसिएशन ने कई बड़े काम कराये हैं और एसोसिएशन का नाम रोशन किया है।
कार्यक्रम के अन्त में डॉ नियाज़ अहमद ने एसोसिएशन की रिपोर्ट पेश की और
तमाम जानकारियों से लोगों को अवगत कराया। उन्होंने आये हुए सभी
चिकित्सकों का धन्यवाद किया। इस मौके पर डॉ मोहम्मद नसीम, डॉ मोहम्मद
आसिफ, डॉ मोहम्मद उमर खान, डॉ शादाब अनवर, डॉ सेराज़ अहमद, डॉ मोहम्मद
उमर, डॉ मोहम्मद शुएब, डॉ साजिद क़मर, डॉ मोहम्मद उबैदुल्लाह, डॉ दिलशाद
अख़्तर, डॉ नदीम अहमद आदि मौजूद रहे।