नई दिल्ली: गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली विधानसभा चुनाव पर कहा कि हम सिर्फ हार या जीत के लिए चुनाव नहीं लड़ते हैं। भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो अपनी विचारधारा के विस्तार में विश्वास रखती है।

अमित शाह ने कहा कि 'गोली मारो' और ‘भारत-पाकिस्तान मैच’ जैसे बयान नहीं देने चाहिए थे, पार्टी इस तरह के बयानों से खुद को अलग रखती है। दिल्ली चुनाव को लेकर मेरा आकलन गलत साबित हुआ। कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन किया है। हो सकता है कि भाजपा को पार्टी नेताओं के घृणास्पद बयानों का नुकसान हुआ हो।

गृहमंत्री ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे सीएए और एनआरसी को लेकर जनादेश नहीं है। अमित शाह ने कहा, सीएए पर जिसको चर्चा करनी है, मेरे ऑफिस से समय मांगे, मैं तीन दिन के भीतर चर्चा करूंगा। CAA की ही तरह लॉन्ग टर्म वीजा का प्रावधान था जो 1964 में बनाया गया था।

शाह ने कहा कि CAA के विरोध पर चर्चा होनी चाहिए लेकिन यह चर्चा भी होनी चाहिए कि यह विरोध क्यों हो रहा है? किस प्रावधान के तहत उन्हें लगता है कि यह ऐंटी मुस्लिम है? चुनाव बहुत सारे दलों के लिए, सरकार बनाने और सरकार गिराने के लिए होते हैं। भाजपा एक विचारधारा पर आधारित पार्टी है, हमारे लिए चुनाव हमारी विचारधारा को बढ़ाने का भी चुनाव होता है। सिर्फ जय पराजय के लिए हम चुनाव नहीं लड़ते।

मुद्दा आज भी ये है कि किसी का विरोध किस प्रकार से और किस चीज के लिए होना चाहिए। जिस प्रकार से शाहीन बाग का समर्थन करने वालों को अपने विचार रखने का अधिकार है। उसी प्रकार हमें भी हमारे विचार व्यक्त करने का अधिकार है और हमने वो किया।

मैं 13 साल की आयु से राजनीति में हूं, मेरा व्यक्तिगत कुछ नहीं है, जो देश के लिए अच्छा है, वही मेरा है। 1980-81 में जब मैंने भाजपा जॉइन की थी, तो उस वक्त हमारी मात्र दो सीटें थी, आज एक लंबा सफर तय करके हम यहां पहुंचे हैं।

किसी ने आज तक मुझे ऐसा प्रावधान नहीं बताया कि सीएए के किस प्रावधान के तहत वो ये मानते हैं कि ये एंटी मुस्लिम है। अगर भाजपा का विरोध ही करना है तो फिर कुछ भी हो सकता है। हमारा मन शुद्ध है और हम शुद्ध मन से काम करते हैं। हमने कभी भी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया है।

मैं आज भी देश को बताना चाहता हूं कि CAA में ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है, जो मुस्लिमों की नागरिकता ले लेता हो। 5 अक्टूबर 2010, 11 अगस्त 2011 7 मार्च 2014 हिंदू, सिख, बौद्ध और ईसाई अल्पसंख्यकों को लॉन्ग टर्म वीजा की सुविधा सरलता से दी जाए।

ये सब कांग्रेस के किए काम हैं। 30 मार्च 1964, 16 अप्रैल 1964, 29 दिसंबर 1964, 5 अगस्त 1966, 10 सितंबर 1974 और 9 फरवरी 1978 को कांग्रेस और जनता पार्टी की सरकारों ने कहा था कि हिंदुओं और सिखों को भारत में रहने के लिए लॉन्ग टर्म वीजा दिया जाए। NRC पर पहल कांग्रेस की तरफ से ही की गई थी। प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में कमेटी बनी जिसने फैसला किया था कि देश के सभी लोगों की पहचान के लिए एक रजिस्टर बनना चाहिए।