लखनऊ: उत्तर प्रदेश काँग्रेस विधान परिषद् दल के नेता दीपक सिंह ने कहा उत्तर प्रदेश में कब थमेगा महिलाओ की अस्मिता लूटने का सिलसिला उत्तर प्रदेश में सरकार जुबानी तौर पर बड़े-बड़े दावे करती है वहीं मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर में कोडियाव पुलिस चौकी से पूछताछ के बहाने दो पुलिस वाले एक अध्यापिका को बंधक बनाकर ले जाते हैं और घंटों बलात्कार करते हैं। जब वह पुलिस वालों से घर जाने की बात कहती है तो उसके साथ मारपीट की जाती है|

दीपक सिंह ने विधानसभा में सीएम योगी को घेरते हुआ कहा कि घटना के 3 दिन बीत जाने के बाद भी सरकार के संरक्षण में पुलिस अपराध और अपराधियों को बचाने के कार्य कर रही है, आप अधिकांश समय तो गोरखपुर में ही देते हैं फिर भी नाक के नीचे इस घटना में अभी तक प्रभावी कार्यवाही क्यों नहीं हुई, पूर्वांचल में पुलिस पर पूर्व में भी अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के मामले सामने आए हैं परंतु उजागर करने वाले मान्यता प्राप्त पत्रकार पर जानलेवा हमला व मुकदमे दर्ज किए गए जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी दर्ज कराई गई परंतु दोषी पुलिसकर्मियों के बजाय पत्रकार पर मुकदमे दर्ज किए गए| पूर्व में प्रदेश के जिले व थाने बेचे जाने के कुछ प्रमाण सामने आए थे जिसे अब चरितार्थ होने के कारण सरकार में महिलाओं की सुरक्षा न दे पाने और उल्टे सरकारी अत्याचार की वजह से प्रदेश की जनता एवं महिलाओं का सरकार के प्रति भारी रोष और आक्रोश अविश्वास है।

दीपक ने कहा प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ही सरकार जहां बढ़ते अपराधों को नकारती है वही दूसरी तरफ सरकारी संरक्षण में चल रहे अपराधों को प्रकाशित करने वाले पत्रकारों का पुलिस व संबंधित उच्च अधिकारियों द्वारा पत्रकारों पर जानलेवा प्रहार किए जा रहे हैं लखनऊ के बंसल इंस्टिट्यूट सीतापुर रोड पर स्थित विद्यालय सेठ एमआर जयपुरिया में एक बच्चे पर जबरन घंटों बंधक बनाए रखने से संबंधित खबर लेने गए पत्रकार विजय मिश्रा व कैमरामैन को बंधक बनाकर मारा-पीटा गया तथा सामान ज़ब्त कर लिया गया जिसकी सूचना एवं स्थानीय पुलिस को दिए जाने के बाद भी किसी प्रकार की प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई उल्टे सीसीटीवी फुटेज को डिलीट करवा दिया गया इससे तो यही लगता है कि प्रदेश में कानून का राज पूरी तरह से समाप्त हो चुका है ।

दीपक सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सेनानी के आश्रित को आयु सीमा में मिल रही छूट और मिलने वाली पेंशन तथा उनके आश्रितों के विशेष आरक्षण को समाप्त कर दिया गया है जबकि उक्त आश्रित के साथ विशेष आरक्षण श्रेणी के अंतर्गत आने वाले अभ्यार्थियों जैसे भूतपूर्व सैनिकों को 5 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा तक तथा दिव्यांगों को अधिकतम आयु सीमा में 15 वर्ष तक की छूट मिल रही है परंतु स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों जो कि अपने प्राणों की बलि प्रदान करने के बाद देश को आजाद कराया है , उन्हीं के साथ ही क्यों अन्याय किया जा रहा है ।