अल्पकालीन कार्य बहिष्कार शुरू, 24 से अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन

लखनऊ: संयुक्त संघर्ष समिति, उ.प्र. राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड के तत्वावधान में प्रदेश व्यापी पाॅच दिन के वर्क टू रूल आन्दोलन के पश्चात आज से बुद्धिशुद्धि यज्ञ के उपरान्त अल्पकालीन कार्य बहिष्काकर आन्दोलन राजकीय निर्माण निगम में प्रान्तीय स्तर पर शुरू कर दिया गया है। बुद्धिशुद्धि यज्ञ के आयोजन के उपरान्त संयोजक राज बहादुर सिंह ने बताया कि यादि सरकार ने इस अव्यवहारिक आदेश का संशोधन करते हुए निगम को भी ईपीसी मोड पर कार्यदायी संस्था नामित नही किया तो 24 फरवरी से अनिश्चितकालीन प्रान्त व्यापी धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया जाएगा।

निगम मुख्यालय पर आयोजित बुद्धि शुद्धि यज्ञ में महाप्रबंधक स्तर तक के अधिकारियों ने एवं अधिकाधिक कर्मचारियों ने आहूति देते हुए सरकार को अपने निर्णय पर पुर्नविचार करने की कामना की। इस कार्यक्रम के दौरान उ.प्र. राज्य निगम कर्मचारी महासंघ महामंत्री धनश्याम यादव, उप महामंत्री अफसर जहाॅ रिजवी,उपाध्यक्ष मो. वालिम एवं संतोष पाण्डेय, डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ, सीएनडीएस के विभिन्न अन्य कर्मचारी संगठनों पदाधिकारियों द्वारा भी इस आन्दोलन का समर्थन किया गया।

संघर्ष समिति के सह संयोजक इं.संदीप कुमार सिंह, इं. मिर्जा फिरोजशाह, उमाकान्त, जागेष्वर प्रसाद, इं. नरेन्द्र कुमार, मुकेश चन्द्र, रविराज सिंह,इं. एस.डी. द्विवेदी, ए.के. गोस्वामी, इसहाक अली, सुरेन्द्र कुमार और आशीष कुमार ने इस दौरान मीडिया से बाॅतचीत में कहा कि सरकार के इस निर्णय से लगभग 2500 कर्मचारियों के भविष्य के लिए खतरा उत्पन्न हो चुका है। हमारा सरकार से यही प्रश्न है कि जब राजकीय निर्माण निगम की ख्याति पूरे देश में है। राजकीय निर्माण निगम फायदे में चलने वाला राज्य का पहला उपक्रम है इसे अचानक इस तरह के निर्णय लेकर बंदी की कगार पर क्यो धकेला जा रहा है। उन्होंने सरकार से अपने निर्णय पर पुर्नविचार की मांग की है।

समिति के पदाधिकारी एस.पी. पाण्डेय, नान बच्चा तिवारी, शिवनन्दन प्रसाद वर्मा, राजेश कुमार चैहान, संतोष कुमार वर्मा, एस.पी. खण्डूरी, भजनलाल यादव, पी. एन. सिंह ने बताया कि सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कारीडोर के पुर्नउद्धार के कार्यो का जो आगणन निगम द्वारा 318 करोड़ रूपये का दिया गया था उसी कार्य की स्वीकृति लोक निर्माण विभाग को 30 करोड़ अधिक की स्वीकृति देकर सरकार को 30 करोड़ का राजस्व का घाटा हुआ। यह भी बताया गया कि वर्तमान में सरकार ़द्वारा पिछले दो माह में कोई वित्तीय स्वीकृति न दिये जाने से कोई भी नव निर्माण कार्य शुरू नही हो पाया है। ऐसे तमाम निर्माण परियोजनाओं का आगणन निमार्ण निगम दे चुका है जो इस आदेश के बाद ठण्डे बस्ते में पड़े है। आन्दोलनकारियों का कहना है कि सरकार के इस निर्णय से आने वाले दिनों में तमाम विकास की परियोजनाएं दो से चार साल विलम्ब की प्रक्रिया में चली जाएगी।