नई दिल्ली: चीन के घातक कोरोना वायरस का असर स्वास्थ्य क्षेत्र पर भी पड़ने लगा है. भारत में रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली जरूरी दवाओं के दाम 70 फीसदी तक बढ़ गये हैं। देश में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली पैरासिटामोल के ही दाम 40 फीसदी बढ़ गये हैं।

बैक्टीरिया की वजह होने वाले गले, दांत और कान आदि के संक्रमण के इलाज में उपयोग की जाने वाली एंटीबायोटिक दवाई एजिथ्रोमाइसिन की ही कीमत 70 फीसदी तक बढ़ गयी है। दवाओं से जुड़े अधिकतर केमिकल्स चीन से आते हैं और आवाजाही बंद होने से आपूर्ति पर असर पड़ा है।

हिन्दुस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार, पहले पैरासिटामोल के एक डिब्बे की कीमत 130 रुपये थी जो अब बढ़कर 190 रुपये हो गई है। इसी तरह एजिथ्रोमाइसिन का एक डिब्बा 300 से बढ़कर 450 और निमूस्लाइड के एक डिब्बे की कीमत 85 से बढ़कर 118 रुपये हो गई है।

वायरस से बचने के लिए इस्तेमाल होने वाला एन-95 मास्क अधिकतर जगहों पर नहीं मिल रहा है. 500एमएल वाले सेनिटाइजर की कीमत 230 से बढ़कर 350 रुपये हो गई है और इसी तरह नेबुलाइजर के दाम 1080 से बढ़कर 1208 रुपये हो गए हैं।

इंडिया फार्मास्युटिकल एलायंस (आईपीए) ने चीन से कच्चे माल के आयात की स्थिति को 'गंभीर' बताते हुए कहा कि भारतीय दवा उद्योग के पास केवल दो से तीन महीनों के लिए सक्रिय फार्मास्युटिकल घटकों (एपीआई) का स्टॉक हैं।

आईपीए के महासचिव सुदर्शन जैन ने बायोएशिया 2020 के मौके पर कहा कि वे लोग इस मुद्दे पर केंद्र के साथ संपर्क में हैं और कुछ एपीआई विनिर्माण इकाइयों के लिए तेजी से पर्यावरणीय मंजूरी की मांग कर रहे हैं, ताकि चीन पर निर्भरता कम हो।

जैन ने बताया कि भारत चीन से 17,000 करोड़ रुपये के एपीआई का आयात करता है। चीन इस समय कोरोना वायरस से पीड़िता है और इस कारण उसका विदेश व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा, 'यह बेहद गंभीर स्थिति है। इस बात का पूरी तरह अंदाज कोई नहीं लगा सकता है कि क्या होने वाला है। हमारे पास दो से तीन महीने की खेप है।'

जैन ने मार्च से कुछ राहत मिलने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा, “यदि हमें मार्च के पहले सप्ताह (चीन से) से आपूर्ति मिलने लगी, तो हम समस्या से बाहर आने में सक्षम हो सकते हैं।' हालांकि, उन्होंने जोड़ा कि इस बात का अनुमान लगाना बेहद कठिन है कि हालत कब सुधरेंगे।