नई दिल्ली: पाकिस्तान के दौरे पर आए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटरेस ने जम्मू कश्मीर के बाद अब नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारतीय संसद में पास किए गए नागरिकता संशोधन एक्ट की वजह से बीस लाख लोगों के देश विहीन होने का खतरा है, इनमें से ज्यादातर मुस्लिम हैं. उन्होंने कहा कि मुझे इसको लेकर चिंता है.

पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' को दिए एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ रहे भेदभाव को लेकर वे चिंतिंत हैं? इसके जवाब में एंटोनियो गुटरेस ने कहा, "जब भी नागरिकता संबंधी कानूनों में बदलाव किया जाता है, इस तरह के प्रयास किए जाते हैं कि देशविहीनता की स्थिति पैदा न हो, और यह सुनिश्चित किया जा सके कि दुनिया का हर नागरिक किसी न किसी देश का नागरिक भी हो…"

बता दें, इससे पहले संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटरेस की जम्मू कश्मीर पर की गयी टिप्पणी के बाद भारत ने कहा था कि यह क्षेत्र भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा तथा जिस मुद्दे पर ध्यान देने की सबसे अधिक जरूरत है, वह है पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से और जबरन कब्जा किए गए क्षेत्र का समाधान करना. पाकिस्तान की चार दिनों की यात्रा पर पहुंचे गुटरेस ने जम्मू-कश्मीर को लेकर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी. इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई भूमिका नहीं है.

रवीश की यह टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुटरेस की उस टिप्पणी के बाद आयी थी, जिसमें उन्होंने जम्मू कश्मीर की स्थिति पर चिंता जतायी थी. पाकिस्तान के दौरे पर आये गुटरेस ने कहा था कि अगर दोनों देश सहमत हों तो वह मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था, ‘भारत की स्थिति बदली नहीं है. जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा . जिस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है, वह पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से और जबरन कब्जा किए गए क्षेत्र का समधान करना.' कुमार ने कहा, ‘‘इसके आगे अगर कोई मसला है तो उस पर द्विपक्षीय चर्चा होगी . तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए कोई भूमिका या गुंजाइश नहीं है.'